AIIMS भुवनेश्वर भर्ती घोटाले में CBI ने शिकंजा कसा, एक अधिकारी और पांच अन्य के खिलाफ मामला दर्ज
सीबीआई ने एम्स-भुवनेश्वर में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ग्रुप बी और सी के पदों पर भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोप में एक अधिकारी और पांच अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। एजेंसी ने आपराधिक साजिश धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपों के बाद यह कार्रवाई की। आरोप है कि बॉम्बे इंटेलिजेंस सिक्योरिटी की कर्मचारी ने रिश्तेदारों के लिए नौकरी पाने की साजिश रची।

पीटीआई, भुवनेश्वर। सीबीआई ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ग्रुप बी और ग्रुप सी के पदों पर भर्ती में कथित भ्रष्टाचार के आरोप में एम्स-भुवनेश्वर के एक अधिकारी और पांच अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। एजेंसी ने मार्च में दर्ज अपनी प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों के आधार पर यह कार्रवाई की, जिसमें प्रथम दृष्टया आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी और रिश्वतखोरी के मामले सामने आए थे।
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने इस मामले में एम्स-भुवनेश्वर के भर्ती प्रकोष्ठ के सहायक प्रशासनिक अधिकारी सुधीर कुमार प्रधान और पांच अन्य - राजश्री पांडा, संग्राम मिश्रा, साई सागर कर, श्री संबित मिश्रा और श्रुति सागर कर के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि बॉम्बे इंटेलिजेंस सिक्योरिटी (इंडिया) लिमिटेड (बीआईएस) की कर्मचारी श्रुति सागर कर ने अपने रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के लिए एम्स-भुवनेश्वर में स्थायी नौकरी हासिल करने की साजिश रची थी।
1 जुलाई, 2023 को विज्ञापित पदों के लिए जाली शैक्षिक और कार्य अनुभव प्रमाणपत्रों का उपयोग करके भर्ती प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया।
आरोप है कि पांडा (श्रुति सागर कर की पत्नी), संग्राम मिश्रा, साई सागर कर और संबित मिश्रा ने श्री कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज, गाजियाबाद द्वारा जारी जाली शैक्षिक दस्तावेजों के आधार पर नौकरियां हासिल कीं।
एफआईआर में आरोप लगाया गया है, "इसके अलावा, वेबसाइट पर दिए गए पतों पर ऐसा कोई कॉलेज या विश्वविद्यालय का बुनियादी ढांचा, यानी कॉलेज और एलाइड हेल्थकेयर काउंसिल ऑफ इंडिया, जिससे कॉलेज संबद्ध है, मौजूद नहीं पाया गया।"
सीबीआई ने कार्य अनुभव से संबंधित अनियमितताओं का भी पता लगाया। बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में सेनेटरी इंस्पेक्टर और मेडिकल रिकॉर्ड टेक्नीशियन जैसे पदों पर उनकी सेवा दर्शाने वाले प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए।
अधिकारियों ने कहा कि ये प्रमाण पत्र फर्जी थे और कथित तौर पर श्रुति सागर कर ने आवेदकों और अन्य लोगों के साथ मिलकर साजिश रची थी।
प्रारंभिक जाँच से पता चला है कि प्रधान ने इस साजिश में अहम भूमिका निभाई क्योंकि उन्होंने उच्च अधिकारियों को यह जानकारी नहीं दी कि गाजियाबाद संस्थान को भेजा गया सत्यापन पत्र बिना पहुँचाए वापस आ गया, जिससे चारों उम्मीदवार अपनी नौकरी पर बने रहे।
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