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    स्‍वच्‍छ शासन देने के लिए ओडिशा में लागू की गयी 5टी एवं मो सरकार योजना

    By Babita kashyapEdited By:
    Updated: Mon, 13 Jul 2020 12:26 PM (IST)

    5T and Mo Government Scheme ओडिशा की जनता को स्‍वच्‍छ शासन देने के लिए राज्‍य सरकार ने 5 टी एवं मो सरकार योजना लागू की है।

    स्‍वच्‍छ शासन देने के लिए ओडिशा में लागू की गयी 5टी एवं मो सरकार योजना

    भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। ओडिशा के लोगों को स्वच्छ शासन देने के लिए 5टी (Teamwork, Technology, Transparency, Transformation and Time Limit) एवं मो सरकार (मेरी सरकार) व्यवस्था लागू की गई है। हालांकि सरकार का यह नियम बालेश्वर जिले के लिए कागजात तक ही सीमित रहने की बात कही जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। खुद मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से एक संवेदनशील मामले की जांच के लिए भेजा गया आदेश पत्र के पहुंचने में 4 महीने का समय लगा है। अब यहां सवाल यह उठ रहा है कि क्या हकीकत में इस पत्र के पहुंचने में 4 महीने का समय लगा है या फिर जानबूझकर इसे दबा दिया गया था, उसका जवाब देने वाला फिलहाल कोई नहीं दिख रही है। सच्चाई सामने लाने के लिए सतर्कता विभाग को जिम्मेदारी दी गई है।

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    बालेश्वर जिले के अतिरिक्त सरकारी वकील भुवनानंद दास के नाम पर आरोप था कि सरकारी मामले का संचालन कर रहे श्री दास एक ही समय में भोगराई, बालियापाल एवं बालेश्वर मजिस्ट्रेट की अदालत में काम करने को दर्शाकर अपने प्राप्य लिया था। बस्ता क्षेत्र के प्रशांत कुमार प्रधान ने इस संदर्भ में 4 जनवरी को जिलाधीश, राज्य सरकार एवं सतर्कता विभाग को पत्र लिखकर इसकी जांच करने के लिए अनुरोध किया था। 

    श्री प्रधान के आरोप के मुताबिक 2013 से 2017 तक एक ही साथ दो पद पर रहकर (अतिरिक्त जीपी एवं सीडब्ल्यूसी सदस्य) अतिरिक्त सरकारी वकील श्री दास मामले के संचालन के बाबत में लाखों रुपये गैरकानूनी ढंग से लिए थे। सीडब्लयूसी सदस्य रहते समय दास ने 6 लाख 33 हजार 500 रुपये एवं विभिन्न सरकारी मामले के संचालन के बाबत लगभग 15 लाख रुपये लेने का आरोप इस आरोप पत्र में दर्शाया गया था। 

     

    इस संदर्भ में पता चलने के बाद 5 फरवरी 2020 को मुख्यमंत्री कार्यालय से बालेश्वर जिलाधीश के पास एक पत्र संख्या (1655 बटा 20) भेजा गया था। इसमें सरकारी मामला संचालन के बाद दास ने कितना पैसा लिया है उसकी जांच के लिए निर्देश दिया गया था। मुख्यमंत्री कार्यालय के इस निर्देश के बारे में कोई जवाब ना मलने से सरकार के कानून विभाग पुन: 28 फरवरी को स्पीड पोस्ट से इसी आदेशपत्र को  (रिमांडर पत्र नंबर 2897 बटा 20) बालेश्वर जिलाधीश के पास भेजा।

    यहां आश्चर्य की बात है कि सीएमओ दफ्तर से आया यह आदेश पत्र पिछले महीने 22 जून तक नहीं पहुंचा था। 4 महीने बाद भी आदेश पत्र नहीं पहुंचने की बात जब शिकायतकर्ता प्रधान को पता चली तब उन्होंने इसकी छानबीन की और आश्चर्यजनक तरीके से उसी दिन 22 जून को आदेश पत्र सीधे जिलाधीश के टेबल पर पहुंच गया। यहां सवाल यह उठता है कि सीएमओ आदेश पत्र 4 महीने कहां था। 

     

    सामान्य रूप से स्पीड पोस्ट से आने वाला पत्र एक या दो दिन में पहुंच जाता है, मगर 4 महीने बात यह पत्र जिलाधीश के टेबल पर आने का मतलब इसमें जरूर कोई न कोई राज छिपा है। अब इस संदर्भ में सतर्कता विभाग में शिकायत की गई है। बालेश्वर सतर्कता विभाग के इंस्पेर्टर डी.के.नायक को इसकी जांच जिम्मेदारी दी गई है। लोगों को उम्मीद है कि सतर्कता विभाग की जांच के बाद सच्चाई सामने आ जाएगी कि आखिर चार महीने तक यह पत्र कहां पर था।

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