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    क्‍यों आ रहा हाथी काे गुस्‍सा? अनुगुल के पातेली गांव में गजराज के हमले में अब तक 15 मौतें, इलाके में हंगामा

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Thu, 24 Aug 2023 12:49 PM (IST)

    Odisha News ओडिशा के अनुगुल जिले में लोग हाथियों के हमले में लोगों की जान जा रही है। गुरुवार सुबह भी एक नर हाथी के हमले में एक पुरुष और एक महिला सहित दो लोगों की मौत हो गई है। इस घटना के बाद गांव का माहौल तनावग्रस्‍त हो गया। गुस्साए ग्रामीणों ने टायर जलाए और सड़क जाम कर दी।

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    अनुगुल में हाथी के हमले में जा रही लोगों की जानें।

    जागरण संवाददाता, अनुगुल। Odisha News: ओडिशा के अनुगुल जिले में लोग हाथियों के आतंक में जी रहे हैं। यहां हाथियों के हमले में लोगों की जानें जा रही हैं, घर-बार नष्‍ट हो रहे हैं, फसलों को नुकसान पहुंच रहा है। गुरुवार की सुबह भी एक हाथी के हमले में दो लोगों की मौत हो गई है। इसमें एक पुरुष और एक महिला है।

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    नर हाथी ने ले ली दोनों की जान

    इस घटना के बाद अनुगुल वन प्रभाग के अंतर्गत पातेली गांव में माहौल तनावग्रस्‍त हो गया। मृतकों की पहचान शंकर बिस्वाल और झिल्ली माझी के रूप में हुई है। सूचना के अनुसार, जब वे सुबह किसी काम के लिए बाहर गए थे, तो दोनों का एक नर हाथी से आमना-सामना हो गया और वे हाथी के हमले का शिकार हो गए। फलस्वरूप दोनों की ही मौके पर मौत हो गई। मामला तब सामने आया जब स्थानीय लोगों ने उनके शव देखे।

    हाथी के हमले में लगातार हो रहीं मौतें

    घटना से गांव में आक्रोश फैल गया और गुस्साए ग्रामीणों ने टायर जलाए और सड़क जाम कर दी। इस घटना से गुस्साए ग्रामीणों ने पर्याप्त मुआवजे और हाथियों के हमलों को रोकने के लिए तत्काल उपाय करने की मांग की।

    स्थानीय निवासियों ने वन विभाग पर घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए बताया कि पिछले कुछ महीनों में हाथी ने कई लोगों की जान ले ली है और कई एकड़ भूमि पर खड़ी फसल को नष्ट कर दिया है।

    ग्रामीणों ने किया सड़क जाम

    रिपोर्ट के अनुसार, इलाके में हाथियों के हमले के कारण कम से कम 15 लोगों की जान चली गई है। दूसरी ओर, वन विभाग हाथियों को भगाने या स्थानीय लोगों में जागरूकता फैलाने में बुरी तरह विफल रहा है, जिससे लोगों में आक्रोश है। विरोध प्रदर्शन के बाद वाहनों की आवाजाही रुक गई और कई वाहन फंसे रहे।

    सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और आंदोलनकारियों को समझाने का प्रयास किया। हालांकि, निवासियों ने आक्रोश व्यक्त किया क्योंकि रिपोर्ट दर्ज होने तक वन विभाग का कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा था।