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Train Accident: मां के निधन पर 14 साल बाद लौटे बेटे की मौत, शवों के ढेर में तलाश रहे भाई; रोना देख कलेजा कांपा

Odisha Train Tragedy ओडिशा ट्रेन हादसे में रेस्क्यू तो पूरा हो गया लेकिन शुक्रवार रात से ही लोग अपनों की तलाश में बदहवास फिर रहे हैं। ऐसे ही दो भाई घटनास्थल से लेकर अस्पताल तक का चक्कर काट रहे हैं लेकिन उनके भाई का पता नहीं चल पाया है।

By Roma RaginiEdited By: Roma RaginiPublished: Sat, 03 Jun 2023 02:08 PM (IST)Updated: Sat, 03 Jun 2023 03:43 PM (IST)
Train Accident: मां के निधन पर 14 साल बाद लौटे बेटे की मौत, शवों के ढेर में तलाश रहे भाई; रोना देख कलेजा कांपा
Train Accident: मां के निधन पर 14 साल बाद लौटे बेटे की मौत, शवों के ढेर में तलाश रहे भाई

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। ओडिशा के बालेश्वर ट्रेन हादसे में मौत ने खूब तांडव मचाया। ट्रेन में सवार 238 लोगों की जान चली गई। घटनास्थल का मंजर तो दिल दहलानेवाला है ही, वहीं अस्पतालों के बाहर लोगों की गीली आंखें, बेचैनी, रुदन देखकर कलेजा कांप रहा है।

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रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म तो हो गया है लेकिन अब लोग अपनों की खैर-खबर और उनकी तलाश में बदहवास इधर से उधर घूम रहे हैं। ऐसे ही एक शख्स अपने भाई की तलाश में इस अस्पताल से उस अस्पताल से मारा-मारा फिर रहा है पर उसके भाई का पता नहीं चल पा रहा है।

एक बेटा अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए 14 साल बाद चेन्नई से अपने गांव आया था। श्राद्धकर्म के बाद वह अपने गांव से रवाना हो गया लेकिन वह भी ट्रेन हादसे का शिकार हो गया।

बालेश्वर जिले के सोरो इलाके के रहने वाले रमेश चेन्नई में रहते हैं। मां की मौत की खबर सुनकर रमेश 14 साल बाद गांव लौटे। वह अपनी मां के शुद्धिकरण की रस्में पूरी करने के बाद शुक्रवार को चेन्नई लौट रहे थे। हालांकि, विधाता ने कुछ और ही लिखा था। हादसे में रमेश की मौत हो गई।

भाई की तलाश में अस्पतालों के चक्कर काट रहे

रमेश के दो भाई शव की पहचान के लिए इस अस्पताल से उस अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि, उन्हें अभी तक अपने भाई का शव नहीं मिला है।

रमेश के भाई ने कहा कि शुक्रवार को मेरा भाई शाम 6 बजे ट्रेन में सवार हुआ था। हादसा शाम करीब 7 बजे हुआ। हादसे की आवाज सुनकर हम मौके पर पहुंचे। हमने भाई को तलाशा लेकिन वह नहीं मिला। बाद में, हम घर वापस चले गए।

किसी ने कॉल पर बताया-आपका भाई मर गया

उन्होंने आगे बताया कि रात करीब 12.30 बजे के आसपास, हमने उसके मोबाइल फोन पर कॉल किया। जब फोन की घंटी बजी, तो एक आदमी ने उसे उठाया और हमें सूचित किया कि वह मर चुका है।

भाइयों ने रोते हुए बताया कि रात से, हम इस अस्पताल से उस अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि, अभी तक भाई के शव की पहचान नहीं हो पायी है।


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