Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Odisha News: आदिवासी लड़की ने किया पिता का अंतिम संस्कार, टूटी पुरानी परंपराओं की जंजीर

    By Jagran NewsEdited By: Paras Pandey
    Updated: Sun, 08 Oct 2023 06:30 AM (IST)

    सदियों पुरानी परंपरा को गलत साबित करते हुए ओडिशा के नबरंगपुर जिले में एक युवा लड़की ने अपने पिता की चिता को अग्नि दी और उनके अंतिम संस्कार के दौरान सभी अनुष्ठान किए। उस परंपरा के विपरीत जहां महिलाएं अंतिम संस्कार करने से दूर रहती हैं और उन्हें दाह संस्कार स्थल पर नहीं आना चाहिए वहीं आदिवासी बहुल नबरंगपुर जिले की युवा लड़की ने भावनात्मक रास्ता अपनाया।

    Hero Image
    ओडिशा की बेटी ने परंपरा के बंधन को तोड़ते हुए किया पिता का अंतिम संस्कार

    संतोष कुमार पांडेय,अनुगुल। सदियों पुरानी परंपरा को गलत साबित करते हुए, ओडिशा के नबरंगपुर जिले में एक युवा लड़की ने अपने पिता की चिता को अग्नि दी और उनके अंतिम संस्कार के दौरान सभी अनुष्ठान किए। उस परंपरा के विपरीत, जहां महिलाएं अंतिम संस्कार करने से दूर रहती हैं और उन्हें दाह संस्कार स्थल पर नहीं आना चाहिए वहीं आदिवासी बहुल नबरंगपुर जिले की युवा लड़की ने भावनात्मक रास्ता अपनाया और अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नबरंगपुर में पठानी साही के मृतक कटेश्वर राव एक सामाजिक कार्यकर्ता थे। एक स्थानीय ने बताया कि वह कई गैर सरकारी संगठनों से जुड़े थे और उन्होंने समाज और गरीबों की भलाई के लिए कार्य किया था। यह उस महान व्यक्ति को एक छोटी सी श्रद्धांजलि थी। राव की बेटी आईवी रेशमा ने बताया कि हमारे पिता हमसे बहुत प्यार करते थे। उन्होंने कभी लड़के या लड़की के बीच अंतर नहीं किया। उन्होंने मुझे सदैव आगे रहने के लिए प्रेरित किया था। 

    भावुक रेशमा ने आगे कहा कि सभी परिवारों में बेटे नहीं होते। उस मृत व्यक्ति का क्या होगा जिसका कोई पुरुष उत्तराधिकारी नहीं है? आज के समय में हमें बेटा और बेटी में फर्क नहीं करना चाहिए। मेरे पिता ने कभी भी मुझे किसी बेटा से अलग नहीं किया।उन्होंने मुझे समान अवसर और समान प्यार देकर बड़ा किया है। यह उनकी आखिरी इच्छा थी और मैंने इसे पूरा किया है।

    सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा त्रिपाठी ने कहा कि रेशमा ने अपने नेक काम से एक मिसाल कायम की है कि अपने प्रियजनों को अंतिम सम्मान देना एक लड़की का अधिकार है। एक लड़की भी अलग नहीं है और वह भी उन सभी जिम्मेदारियों को निभा सकती है जो एक पुरुष निभा सकता है। इस तरह के कृत्य से समाज में पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव को समाप्त करने में काफी मदद मिलेगी।