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    ओडिशा में नुआखाई पर्व की धूम, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं, धान की नई फसल का मनाया जाता जश्‍न

    पश्चिम ओडिशा में आज धूमधाम से नुआखाई पर्व का पालन किया जा रहा है। इस मौके पर राष्ट्रपति राज्यपाल मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राज्यवासियों को शुभकामना दी है। इस पर्व पर लोग धान की कटाई की खुशी मनाते हैं और पारंपरिक रीति-रिवाज से देवी मां श्री समलेश्वरी को नए फसल से बना भोग अर्पित करते हैं। रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने भी अपनी शुभकामनाएं दी है।

    By Sheshnath RaiEdited By: Arijita SenUpdated: Wed, 20 Sep 2023 04:05 PM (IST)
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    पुरी समुद्र तट पर कलाकार सुदर्शन पटनायक की सुदर्शन पटनायक।

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। पश्चिम ओडिशा के प्रमुख पर्व में से एक नुआखाई पर देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, राज्यपाल प्रो, गणेशी लाल, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान आदि ने राज्यवासियों को बधाई दी है।

    राष्ट्रपति ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि कृषि से जुड़े नुआखाई के पावन पर्व पर सभी देशवासियों, विशेष रूप से ओडिशा के लोगों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। इस पावन पर्व पर लोग धान की कटाई की खुशी मनाते हैं। यह त्योहार हमें भाईचारे और आपसी सौहार्द का संदेश देता है। इस शुभ अवसर पर मैं देश और देशवासियों की समृद्धि के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हूं।

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    शांति, मैत्रि एवं आनंद के पवित्र परंपरा एवं पर्व नुआखाई के अवसर पर राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल ने लिखा है, ''राज्यवासियों खासकर पश्चिम ओडिशा के भाई-बहनों को हार्दिक शुभकामना एवं अभिनंदन। इस अवसर पर मैं मां समलेश्वरी से प्रार्थना कर सभी के समृद्धि की कामना करता हूं।

    मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने लिखा है, कृषि आधारित सामूहिक पर्व नुआखाई पर मेरी सभी को शुभकामना। मां समलेश्वरी के आशीर्वाद से आपका जीवन सुखमय एवं समृद्धमय बने। नुआखाई जोहार।

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    वहीं, केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने लिखा है कि नुआखाई का आज पालन किया जा रहा है। इसके लिए मां-बहन, दादा-भाई को मेरा नुआखाई जोहार, आपके जीवन में सुख, शांति एवं समृद्धि के लिए मैं प्रार्थना करता हूं। इस मौके पर उन्‍होंने जगन्‍नाथ मंदिर में पूर्जा अर्चना भी की। 

    गौरतलब है कि नुआखाई कृषि से जुड़ा हुआ एक त्‍योहार है, जिसमें नए चावल के स्‍वागत का जश्‍न मनाया जाता है। इस दिन लोग पारंपरिक रीति-रिवाज से देवी मां श्री समलेश्वरी को नए फसल से बना भोग अर्पित करते हैं।

    लोग अच्‍छी बारिश, अनुकूल मौसम, अच्‍छी खेती और उपज के लिए मां के प्रति आभार व्‍यक्‍त करते हैं। इसके साथ ही चिड़िया के चोंच मारने से पहले ही कुलदेवी-देवताओं को धान की छोटी अवधि की किस्म का दाना अर्पित कर दिया जाता है।

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