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    BrahMos Missile: ब्रह्मोस SLCM मिसाइल का सफल परीक्षण, जानें इसकी खूबियां और नाम में छुपा राज

    BrahMos Missile Test क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का बृहस्पतिवार को दोपहर 2 बजकर 40 मिनट पर बृहस्पतिवार को चांदीपुर आइटीआर केएलसी 3 से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। इस प्रक्षेपास्त्र को किसी भी दिशा और लक्ष्य की ओर मनचाहे तरीके से छोड़ा जा सकता है।

    By Babita KashyapEdited By: Updated: Fri, 08 Oct 2021 09:21 AM (IST)
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    क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया

    बालेश्वर, लावा पांडे। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन तथा रूस के वैज्ञानिकों के मिश्रित प्रयास से निर्मित जमीन से जमीन पर मार करने वाले क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का चांदीपुर आइटीआर के एल सी 3 से सफलतापूर्वक परीक्षण दोपहर 2 बजकर 40 मिनट पर बृहस्पतिवार को किया गया। यह प्रक्षेपास्त्र 8.4 मीटर लंबा तथा 0. 6 मीटर चौड़ा है तथा इसका वजन 3000 किलोग्राम है। यह प्रक्षेपास्त्र 300 किलोग्राम वजन तक विस्फोटक ढोने तथा 290 किलोमीटर तक मार करने की क्षमता रखता है। यह सुपर सोनिक क्रूज प्रक्षेपास्त्र आवाज की गति से 2.8 गुना तेज जाने की क्षमता रखता है तथा 4300 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से उड़ सकता है।

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     क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस में क्‍या है खास

    इस प्रक्षेपास्त्र को पानी का जहाज, हवाई जहाज जमीन व मोबाइल लॉन्चर से छोड़ा जा सकता है। इस प्रक्षेपास्त्र को किसी भी दिशा और लक्ष्य की ओर मनचाहे तरीके से छोड़ा जा सकता है। आज इसके परीक्षण के मौके पर डीआरडीओ व आइटीआर से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों और वैज्ञानिकों का दल मौके पर मौजूद थे। ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल हए, जिसका प्रक्षेपण पनडुब्बी पोत विमान या जमीन आधारित मोबाइल ऑटोनॉमस लांचर से भी किया जा सकता है। 21वीं सदी की सबसे खतरनाक मिसाइलों में से एक ब्रह्मोस को माना जाता है। ब्रह्मोस का एक बेड़ा पहले से ही सेना में कार्यात्मक रूप से शामिल हो चुका है। यह मिसाइल घनी शहरी आबादी में भी छोटे लक्ष्य को सटीकता से भेदने में सक्षम है। ब्रह्मोस मिसाइल एक दो चरणीय वाहन है जिसमें ठोस प्रोप्लेट बूस्टर तथा एक सरल प्रो प्लेट रेमजेम सिस्टम है। ब्रह्मोस का पहला परीक्षण 12 जून 2001 को आइटीआर चांदीपुर से ही किया गया था।

    जानें कैसे पड़ा ब्रह्मोस नाम

    ब्रह्मोस से ब्र का मतलब है ब्रह्मपुत्र नदी भारत की तथा मोस का मतलब है मोस्कावा नदी रूस की यानी दोनों देशों की एक-एक नदी के नाम को मिलाकर इस मिसाइल का नामांकरण किया गया है। आज जिस ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण किया गया इसका अत्याधुनिक वर्जन बताया जाता है। इसे ब्रह्मोस एसएलसीएम के नाम से जाना जाता है। यह मिसाइल अत्याधुनिक साजोसामान से पूरी तरह लैस बतायी गयी है। सूत्रों की माने तो आने वाले दिनों में भारत कई भारी-भरकम मिसाइलों के परीक्षण के साथ-साथ छोटे-छोटे राकेटों का भी परीक्षण करने वाला है जिसके लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने और डीआरडीओ ने तैयारियां पूरी कर ली हैं।