Shaheed Bagha Jatin: शहीद बाघा जतिन का 106वां स्मृति दिवस धूमधाम से मनाया गया
Shaheed Bagha Jatin शहीद बाघा जतिन के मूर्ति पर माल्यार्पण कर उनका 106वां स्मृति दिवस मनाया गया। इसके बाद राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया और राष्ट्रीय गान हुआ। इस मौके पर बालेश्वर के जिलाधीश के सुदर्शन चक्रवर्ती जो कि इस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं मौजूद थे।
बालेश्वर, जागरण संवाददाता। कोरोना नियमों का पालन करते हुए बालेश्वर के स्थानीय बारबाटी बालिका विद्यालय परिसर में शहीद बाघा जतिन के मूर्ति पर माल्यार्पण कर उनके 106वां स्मृति दिवस पर बाघा जतिन डेवलपमेंट कमेटी की ओर से उन्हें याद किया गया। इस मौके पर बालेश्वर के जिलाधीश के सुदर्शन चक्रवर्ती जो कि इस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं मौजूद थे। इस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष सुजीत देव साधारण सचिव हरेन चंद्र राणा सुश्री अर्चना नंदी, इंतखाब अली खान, अपर्णा कर, हेमलता दास तथा बारबाटी बालिका विद्यालय की प्रधान अध्यापिका स्निग्धा पंडा समेत भारी संख्या में लोग मौजूद थे।
सबसे पहले स्थानीय गांधी स्मृति भवन से वहां पर उपस्थित गोप बंधु के मूर्ति पर माल्यार्पण कर फकीर मोहन सेनापति बीजू पटनायक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी समेत कई महापुरुषों के मूर्ति पर माल्यार्पण करते हुए बाघा जतिन डेवलपमेंट कमेटी के सदस्यों का यह दल आखिरकार बार बाटी गर्ल्स हाई स्कूल परिसर में पहुंचा। यहां पर अमर शहीद बाघा जतिन के मूर्ति पर सबसे पहले बालेश्वर के जिलाधीश इसके बाद बारी-बारी से सभी अतिथियों ने माल्यार्पण किया था।
इसके बाद राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया और राष्ट्रीय गान हुआ। यहां उल्लेखनीय है कि 10 सितंबर 1915 के दिन शहीद बाघा जतिन और उनके अन्य चार साथियों ने अंग्रेजों के साथ लोहा लेते हुए बालेश्वर के मिट्टी पर शहीद हुए थे। उसी दिन से इन अमर शहीदों की यादगार में बालेश्वर में शहीद बाघा जतिन डेवलपमेंट कमेटी की ओर से हर वर्ष उनका स्मृति दिवस मनाया जाता है।
जागरण से बातें करते हुए बालेश्वर के जिलाधीश के सुदर्शन चक्रवर्ती ने कहा कि शहीद बाघा जतिन जैसे लोग महापुरुष यदि भारत में ना जन्मे होते तो शायद हमें आजादी ना मिलती हम अंग्रेजी हुकूमत के जाल में जकड़े रहते। जिलाधीश ने कहा कि राष्ट्रपिता से लेकर जितने भी महापुरुष इस देश के लिए अपनी जान को न्यौछावर किए हैं सभी को मैं नमन करता हूं, प्रणाम करता हूं तथा आज शहीद बाघा जतिन के स्मृति दिवस के मौके पर यहां पर उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देता हूं।
इसके बाद बालेश्वर के मुख्य कारागार में जहां पर शहीद बाघा जतिन के साथियों को कैद करके रखा गया था तथा यहीं पर उनके साथियों को फांसी के तख्ते पर भी लटकाया गया था। उस फांसी स्तंभ के पास माल्यार्पण का कार्यक्रम किया गया यहां उल्लेखनीय है कि प्रतिवर्ष पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल से भी लोग आते हैं जिन्हें रक्त तीर्थयात्री के नाम से कहा जाता है। लेकिन कोरोना के चलते विगत दो वर्षों से पश्चिम बंगाल से रक्त तीर्थ यात्रियों का दल शहीद बाघा जतिन के स्मृति दिवस के कार्यक्रम में बालेश्वर में शामिल होने नहीं पहुंच पा रहा है।