Odisha News: पुरी के जगन्नाथ मंदिर में 10 श्रद्धालु हुए बेहोश, वजह आई सामने
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक रंजन कुमार दास ने बताया कि दिन के शुरुआती घंटों में हुई इस घटना के लिए भक्तों की भारी भीड़ जिम्मेदार थी। उन्होंने कहा कि जो लोग भी बीमार पड़े उनमें अधिकतर बुजुर्ग व्यक्ति थे। रंजन कुमार दास ने कहा कि हम मंदिर के अंदर भक्तों के सुचारू दर्शन सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था बढ़ा रहे हैं।
संतोष कुमार पांडेय,अनुगुल। ओडिशा के पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर के अंदर शुक्रवार को भारी भीड़ के कारण कम से कम दस श्रद्धालु बेहोश हो गए और जिन्हें भारी भीड़ से रेस्क्यू जिला मुख्यालय अस्पताल ले जाया गया।
हिंदू धर्म मे कार्तिक महीने को सबसे पवित्र माना जाता है और इस महीने में इस धाम पर देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों से बड़ी संख्या में भक्त भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए श्री जगन्नाथ मंदिर में आते हैं। इस दौरान मंदिर में भारी भीड़ रहती है।
भाड़ी भीड़ के चलते हुई परेशानी
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक रंजन कुमार दास ने बताया कि दिन के शुरुआती घंटों में हुई इस घटना के लिए भक्तों की भारी भीड़ जिम्मेदार थी। उन्होंने कहा कि जो लोग भी बीमार पड़े, उनमें अधिकतर बुजुर्ग व्यक्ति थे।
रंजन कुमार दास ने कहा कि हम मंदिर के अंदर भक्तों के सुचारू दर्शन सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था बढ़ा रहे हैं। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, लगभग एक दर्जन भक्तों के बीमार होने की सूचना है और मंदिर में 'मंगल आरती' के दौरान भक्तों की भीड़ अंदर बढ़ने पर उनमें से दस श्रद्धालु बेहोश हो कर गिर पड़े ।
प्रारंभिक उपचार के बाद पुरी अस्पताल में स्थानांतरित
हालांकि शुरुआत में उन्हें मंदिर में प्रारंभिक उपचार दिया गया और फिर पुरी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया।अधिकारियों ने बताया कि उनमें से अधिकांश लोग को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई। पुरी के पुलिस अधीक्षक केवी सिंह ने कहा कि मंदिर में भीड़ थी लेकिन कोई भगदड़ नहीं हुई।
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस की कुल 15 प्लाटून (450 जवान) तैनात की गईं है। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। एक श्रद्धालु ने बताया कि जो लोग भगवान के दर्शन के लिए गए उन्हें सुबह की 'मंगला आरती' के बाद मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दी गई। जैसे ही द्वार खुले, उनमें से कई लोग धक्का मुक्की करते हुए देवताओं की ओर बढ़े और उनमें से कुछ मंदिर में घंटीद्वार और सातपाहच के पास गिरकर बेहोश हो गए।