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    श्रीश्री रविशंकर के अयोध्या में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाया जाएः वेदांती

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Sun, 04 Mar 2018 05:30 PM (IST)

    पूर्व सांसद और श्रीराम जन्मभूमि न्यास से जुड़े राम विलास वेदांती ने प्रदेश सरकार से श्रीश्री रविशंकर के अयोध्या में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

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    श्रीश्री रविशंकर के अयोध्या में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाया जाएः वेदांती

    गोरखपुर (जेएनएन)। पूर्व सांसद और श्रीराम जन्मभूमि न्यास से जुड़े  राम विलास वेदांती ने प्रदेश सरकार से श्रीश्री रविशंकर के अयोध्या में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। वेदांती ने कहा कि श्रीश्री रविशंकर का अयोध्या मामले से कोई लेना-देना नहीं है, वह बिना वजह पूर्व में हुए समझौतों से अलग फार्मूला बना रहे हैं जो श्रीरामजन्मभूमि से जुड़े लोगों को हरगिज बर्दाश्त नहीं है। उनका अचानक राम-प्रेम किसी के गले नहीं उतर रहा है। श्रीराम जन्मभूमि के नाम पर उन्हें व्यापार नहीं करने दिया जाएगा।

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    रविशंकर किसी देवी-देवता को नहीं मानते 

    गोरखनाथ मंदिर के होलिकोत्सव में हिस्सा लेने पहुंचे डा. वेदांती ने दिल्ली रवाना होने से पहले श्रीश्री रविशंकर के अयोध्या मामले में हस्तक्षेप पर संवाददाताओं से बातचीत के दौरान उन्हें जमकर घेरा और खरीखोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मामले को देश के संतों, आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद और भाजपा ने प्रमुखता से उठाया है। इसके लिए बहुत से संत, परिषद कार्यकर्ता और भाजपा नेता जेल गए हैं। इस पूरे प्रकरण में रविशंकर का कहीं पता नहीं था। अचानक वह इस मामले में हस्तक्षेप कर रहे हैं, जिसे आंदोलन से जुड़ा कोई भी व्यक्ति या संस्था स्वीकार नहीं करेगी। डा. वेदांती ने तल्ख लहजे में कहा कि श्रीश्री रविशंकर आर्ट आफ लिविंग नाम का एनजीओ चलाते हैं, ऐसे में श्रीराम जन्मभूमि को भी वह एनजीओ ही समझ रहे हैं। उन्हें यह व्यापार नहीं करने देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि रविशंकर किसी देवी या देवता को नहीं मानते हैं, ऐसे में भगवान श्रीराम के प्रति अचानक यह प्रेम किसी के गले नहीं उतर रहा है।

    किसी को आपत्ति का अधिकार नहीं 

    शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी की चर्चा पर उन्होंने कहा कि रिजवी उस मीर बाकी के खानदान के हैं, जिन्होंने बाबरी मस्जिद बनवाई थी। जब उनका कहना है कि देश के 80 फीसद मुसलमान चाहते हैं कि मंदिर वहीं बने, जहां रामलला विराजमान हैं तो इसे लेकर किसी और को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। किसी को आपत्ति करने का अधिकार भी नहीं है।