शिवराज सरकार रेवड़ी की तरह बांट रही दर्जा प्राप्त मंत्री का पद, जानें- कौन-कौऩ हैं शामिल
मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश के 5 बड़े संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है, जिसमें कंप्यूटर बाबा भी शामिल हैं।
नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सियासी और जातीय समीकरण साधने के लिए रेवड़ी की तरह दर्जा प्राप्त मंत्री के पद बांटे जाने लगे हैं। सरकार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा 31 मंत्री हैं लेकिन इससे अलग मंत्री व राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त 93 (35 मंत्री, 58 राज्यमंत्री) लोग हैं। पिछले तीन महीने में 11 लोगों को दर्जा प्राप्त मंत्री बनाया गया है। राज्य सरकार ने नर्मदा किनारे पौधरोपण और जल संरक्षण की जनजागरूकता के लिए गठित समिति में पांच बाबाओं को सदस्य बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा देकर उपकृत किया है। इनमें कंप्यूटर बाबा, पं. योगेंद्र महंत, नर्मदानंदजी, हरिहरानंदजी और भय्यूजी महाराज के नाम शामिल हैं। कंप्यूटर बाबा और पं. योगेंद्र महंत ने 'नर्मदा घोटाला रथ यात्रा' निकालने की धमकी दी थी लेकिन, राज्यमंत्री का दर्जा मिलते ही उनके सुर बदल गए। अब वे घाटों पर जनजागरण करने की बात कहने लगे हैं। बाबाओं का तर्क है कि यदि वे राज्यमंत्री का दर्जा नहीं स्वीकारते तो नर्मदा संरक्षण का काम कैसे आगे बढ़ाते। अब वे कलेक्टरों से अधिकार पूर्वक बात करेंगे।
उधर, बाबाओं को राज्यमंत्री के दर्जे से नवाजे जाने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने आपत्ति जताते हुए कहा कि ये महात्माओं के लक्षण नहीं हैं। महात्मा का पद किसी भी मंत्री पद से बड़ा है। वह इस संबंध में दिगंबर अखाड़ा को उपकृत बाबाओं पर कार्रवाई करने के लिए पत्र भी लिख रहे हैं। वहीं, काशी सुमेरूपीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि संत यदि मंत्री हो जाएं तो कैसा सम्मान। मंत्री को संत होना चाहिए।
दर्जा प्राप्त मंत्रियों के कारनामे
दो दिन पूर्व ही छेड़छाड़ के एक मामले में राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त राजेंद्र नामदेव को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पूर्व में दर्जा प्राप्त मंत्री और किरार समाज के पदाधिकारी रहे गुलाब सिंह किरार का व्यापम के आरोपितों में नाम आ चुका है।
ये हैं दर्जा प्राप्त मंत्रियों की सुविधाएं
सुविधाओं के रूप में लग्जरी वाहन के साथ एक हजार किमी का डीजल-पेट्रोल, 15 हजार रुपये मकान किराया, 3000 सत्कार भत्ता व मानदेय के बतौर 13 हजार 500 रुपये दिया जाता है। उन्हें कार्यालय स्टाफ के साथ अपना निजी सहायक रखने की पात्रता भी रहेगी।
राज्यमंत्री का दर्जा देने का मामला हाई कोर्ट पहुंचापांच बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा देने के मप्र सरकार के फैसले को लेकर हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई है। इसमें सरकार के कदम की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए गए हैं। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका रामबहादुर वर्मा ने एडवोकेट गौतम गुप्ता के माध्यम से दायर की है। इसमें कहा गया है कि पहले से मंत्री परिषद गठित होने के बावजूद पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया गया। पहले ही प्रदेश की जनता पर 90 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। सरकार के इस कदम से जनता पर आर्थिक बोझ और बढ़ जाएगा। राज्यमंत्री का दर्जा देने के साथ ही उन्हें भत्ते व अन्य सुविधाएं भी मिलने लगेंगी, जिसमें जनता का पैसा खर्च होगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि राज्यमंत्री का दर्जा देने के लिए किस आधार पर उनका चयन किया गया। जिन संतों को यह दर्जा दिया गया है वे कुछ दिन पहले तक सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। एडवोकेट गुप्ता ने बताया कि याचिका पर इस सप्ताह के अंत तक सुनवाई होने की संभावना है।
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समाज का हर वर्ग विकास और जन कल्याण के काम से जुड़े इसलिए, सभी को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
-शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री
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यह मप्र की राजनीति में घृणित अध्याय की शुरुआत है। घोटाले पर पर्दा डालने के लिए मुख्यमंत्री सौदेबाजी पर उतर आए हैं। - अजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष, मप्र विधानसभा
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