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    नृत्य, गजल और बिरहा की बही त्रिवेणी

    By Edited By:
    Updated: Fri, 29 Nov 2013 11:45 AM (IST)

    लखनऊ महोत्सव की सातवीं शाम गजल, कथक, भरतनाट्यम और बिरहा के नाम रही। गजल जहां एक ओर दर्द का एहसास करा रही थी तो बिरहा ने श्रोताओं को लुप्त होने की कगार पर पहुंची इस विधा के बारे में बताने का सफल प्रयास किया। महोत्सव के मुख्य सांस्कृतिक मंच पर अनीता सहगल के संचालन में जब स्थानीय कलाकारों को बुल

    लखनऊ [जागरण संवाददाता]। लखनऊ महोत्सव की सातवीं शाम गजल, कथक, भरतनाट्यम और बिरहा के नाम रही। गजल जहां एक ओर दर्द का एहसास करा रही थी तो बिरहा ने श्रोताओं को लुप्त होने की कगार पर पहुंची इस विधा के बारे में बताने का सफल प्रयास किया। महोत्सव के मुख्य सांस्कृतिक मंच पर अनीता सहगल के संचालन में जब स्थानीय कलाकारों को बुलाया तो पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान हो उठा। 1सबसे पहले इलाहाबाद के हंडिया निवासी प्रेमचंद्र यादव ने छंद, चौपाई व खारी की चाशनी में लिपटे बिरहा के माध्यम से श्रोताओं के बीच अपनी छाप छोड़ी। पीले रंग के वस्त्रों को धारण कर प्रेमचंद्र जैसे ही मंच पर आए पूरा महौल में मानो चेतना जग गई हो। उन्होंने माटी पर आधारित आराम सारा माटी पर मिले.सुनाकर युवाओं को इस विधा से परिचित कराया। हारमोनियम पर जीतलाल, लालजी के ढोलक, रामजी के करताल और जिया लाल के मंजीरों की झंकार के बीच सहगायक रामदेव के साथ प्रेमचंद्र यादव ने सावन की कजरी पेशकर माहौल को सुखनुमा बना दिया। पूछो ऊधो से बृजनारी कब बनवारी अइहें ना.सुनाकर श्रोताओं को मस्ती का एहसास कराया। 1अब बारी थी गजल गायक राजकमल की। गजल तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे. के माध्यम राजकमल ने अपनी मौजूदगी का एहसास कराया। सुमित, अश्रि्वनी, अनिल व विकास के संगीत के बीच उन्होंने चांद अंगड़ाइयां ले रहा. और सख्त राहों पर भी आसान सफर लगता है.सुनाकर गजल प्रेमियों को सुखद अनुभूति का एहसास कराया। 1इसके बाद भरतनाट्यम प्रस्तुति में निधि तिवारी ने नवनीत, पल्लवी, ऐश्वर्या, दिव्या व दामिनी गुप्ता के साथ ताल राग मालविका में अर्धनारीश्वर स्त्रोतम पर आधारित आदिशंकराचार्य प्रस्तुत किया तो राग खेती आदिताल पर भो शम्भो कीर्तनम्.और स्वरांजलि के रूप में राधाकृष्णलीला प्रस्तुत कर सभी की तालियां बटोरीं। गौरव शर्मा ने उपज, थाट, तिहाई, परन, टुकड़े परमेल लड़ी व गत आदि के समायोजन से कथक प्रस्तुत कर नवाबी विधा से सभी को परिचित कराया। उन्होंने अपनी शिष्या कृति श्रीवास्तव के साथ सूफी रचना छाप तिलक सब छीनी तोसे नैना मिला के.पर कथक कर सभी का दिल जीत लिया। पखावज पर शीतल प्रसाद मिश्र, तबले पर भरत कुमार, हारमोनियम व गायन के साथ नाटू दास व साइड रिदम पर आयुष व सुप्रिया सिंह ने संगत की।

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