नहीं रहे केसी पंत, बड़े नेता की गुमनाम विदाई
पूर्व केंद्रीय मंत्री कृष्ण चंद्र पंत नहीं रहे। 81 वर्ष की उम्र में गुरुवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। पचास बरस के सार्वजनिक जीवन और 26 साल के संसदीय कार्यकाल में देश के रक्षा, वित्त, गृह, शिक्षा व ऊर्जा मंत्री की जिम्मेदारी और योजना आयोग उपाध्यक्ष पद का दायित्व संभाल चुके पंत का बिना किसी राजकीय सम्मान के कुछ ही घंट
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पूर्व केंद्रीय मंत्री कृष्ण चंद्र पंत नहीं रहे। 81 वर्ष की उम्र में गुरुवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। पचास बरस के सार्वजनिक जीवन और 26 साल के संसदीय कार्यकाल में देश के रक्षा, वित्ता, गृह, शिक्षा व ऊर्जा मंत्री की जिम्मेदारी और योजना आयोग उपाध्यक्ष पद का दायित्व संभाल चुके पंत का बिना किसी राजकीय सम्मान के कुछ ही घंटों में अंतिम संस्कार भी कर दिया गया।
राजीव गांधी सरकार के कार्यकाल में बोफोर्स कांड के दौरान 87 से 89 के बीच कठिन दौरे में कांग्रेस के लिए बचाव का मोर्चा संभालने वाले पंत को राजकीय सम्मान से अंतिम विदाई का वो हक नहीं मिल सका जो आम तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्रियों को दिया जाता है। संभवत: इसका कारण उत्तार प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और ख्यात स्वतंत्रता सेनानी गोविंद वल्लभ पंत के पुत्र का नब्बे के दशक में कांग्रेस को छोड़ भाजपा का दामन थाम लेना रहा। वैसे उनकी मृत्यु पर भाजपा की ओर से भी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार को उनकी मृत्यु के बाद सरकार में दोपहर तक चले मंथन के बावजूद राजकीय सम्मान से उनकी विदाई पर फैसला नहीं हो पाया।
बताया जाता है कि पंत का परिवार भी इस शोकपूर्ण घटना को पारिवारिक स्तर तक ही सीमित रखना चाहता था। पूर्व रक्षा मंत्री को श्रद्धासुमन अर्पित करने जब दोपहर बाद रक्षा मंत्री एके एंटनी उनके घर पहुंचे तो पता चला कि उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा चुका है।
पूर्व रक्षा मंत्री की पत्नी व पूर्व सांसद इला पंत को भेजे शोक संदेश में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि केसी पंत का जाना बेहद दु:खद है। उनके जाने से देश ने एक प्रमुख शख्सियत और कुशल प्रशासक खोया है।
छठे दशक में तीसरी लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहे पंत ने 1998 में भाजपा से निकटता बना ली थी। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में पंत योजना आयोग के उपाध्यक्ष व कश्मीर पर वार्ताकार भी रहे। हालांकि, उनके संसदीय जीवन का बड़ा भाग कांग्रेस के साथ ही बीता।
रक्षा मंत्री एके एंटनी ने अपने शोक संदेश में कहा कि पंत ने इतिहास के बेहद कठिन दौर में रक्षा मंत्रालय की अगुआई की। 1987-89 के बीच उनके कार्यकाल में ही जहां भारत ने श्रीलंका में अपनी शांति सेनाएं भेजी थीं, वहीं मालदीव में तख्ता पलट की कोशिश को नाकाम करने के लिए भी सैन्य दस्ते भेजे गए थे। रक्षा मंत्री ने पंत को देश के प्रमुख विमानवाहक पोत आइएनएस विराट और मिग-29 लड़ाकू विमान की खरीद समेत सैन्य आधुनिकीकरण के अहम फैसलों के लिए भी याद किया।
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