थाइलैंड के भ्रष्टाचार विरोधी निकाय ने यिंगलुक को भेजा समन
एक तरफ सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी थाइलैंड की प्रधानमंत्री यिंगलुक शिनवात्रा को हटाने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं वहीं दूसरी ओर देश के भ्रष्टाचार विरोधी निकाय ने उन्हें लोकलुभावन चावल सब्सिडी योजना में कर्त्तव्य में कथित लापरवाही को लेकर समन जारी किया है। विवादास्पद चावल सब्सिडी योजना में किसानो
बैंकाक। एक तरफ सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी थाइलैंड की प्रधानमंत्री यिंगलुक शिनवात्रा को हटाने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं वहीं दूसरी ओर देश के भ्रष्टाचार विरोधी निकाय ने उन्हें लोकलुभावन चावल सब्सिडी योजना में कर्त्तव्य में कथित लापरवाही को लेकर समन जारी किया है।
विवादास्पद चावल सब्सिडी योजना में किसानों को बाजार मूल्य से ज्यादा भुगतान किया जाता है। फिलहाल यह योजना धन के संकट से जूझ रही है। किसान अपने पैसे को वापस करने की मांग कर रहे हैं इससे यिंगलुक की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। यिंगलुक फिलहाल उत्तरी थाइलैंड से कामकाज संभाल रही हैं। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी आयोग (एनएसीसी) द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब उनकी कानूनी टीम देगी। 46 वर्षीय प्रधानमंत्री बुधवार को चियानराई चली गई थी। प्रदर्शनकारियों ने धमकी दी है कि बैंकाक में वह जहां-जहां भी जाएंगी वे उनका पीछा करेंगे।
एनएसीसी का कहना है कि यिंगलुक ने चावल सब्सिडी योजना में भ्रष्टाचार और धन की कमी की चेतावनी को अनदेखा किया। दोषी पाए जाने पर उनके राजनीति करने पर पांच साल का प्रतिबंध लग सकता है।
वार्ता के लिए रखी शर्त: इस बीच सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के नेता सुथेप थोंगसुबन ने कहा कि वह यिंगलुक के साथ वार्ता करने के लिए तैयार हैं, लेकिन यह वार्ता आमने-सामने होनी चाहिए और इसका सीधा प्रसारण होना चाहिए। हालांकि यिंगलुक ने उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह सुथेप से पूछना चाहती हैं कि क्या वह संविधान के दायरे में रहकर बातचीत करना चाहते हैं या नहीं? देश में बढ़ते राजनीतिक गतिरोध का कोई समाधान न निकलता देख कार्यकारी विदेश मंत्री सुरापोंग तोविचाकचाइकुलने ने संयुक्त राष्ट्र से देश में बढ़ते राजनीतिक संघर्ष को लेकर मध्यस्थता करने को कहा है। प्रदर्शनकारी यिंगलुक को हटाने की मांग को लेकर देशभर में रैलियां कर रहे हैं। उनका आरोप है कि वह अपने भाई और पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन के हाथ की कठपुतली हैं जिन्हें वर्ष 2006 में भ्रष्टाचार के आरोप में अपदस्थ कर दिया गया था। फिलहाल वह स्वनिर्वासन में दुबई में रह रहे हैं।
पढ़े: थाइलैंड से निकाले जा सकते हैं भारतीय कारोबारी