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शाहबाज और मरियम नहीं बल्कि ये हो सकते हैं पाकिस्‍तान के नए PM

पाकिस्‍तान में सुप्रीम कोर्ट फैसले के बाद अब देश का नया पीएम कौन होगा यह एक बड़ा सवाल है। फिलहाल इस पद के लिए तीन नामों पर चर्चा तेज है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 28 Jul 2017 02:14 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jul 2017 02:48 PM (IST)
शाहबाज और मरियम नहीं बल्कि ये हो सकते हैं पाकिस्‍तान के नए PM
शाहबाज और मरियम नहीं बल्कि ये हो सकते हैं पाकिस्‍तान के नए PM

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पनामागेट मामले में दोषी और अयोग्‍य ठहराए जाने के बाद अब उनकी जगह कौन लेगा, इसको लेकर सवाल भी उठने लगा है। हालांकि इस पूरे मामले में नवाज के विरोधियों की अब बांछे खिल गई हैं। इसमें पाकिस्‍तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान का नाम भी शामिल है, जिन्‍होंने उनके खिलाफ पिछले काफी समय से मुहिम चला रखी थी। लेकिन देश की सत्ता तक पहुंचने के लिए अभी उन्‍हें इंतजार करना पड़ सकता है। लेकिन पाकिस्‍तान के राजनीतिक विशलेषक इस बात से इंकार नहीं कर रहे हैं कि इसका फायदा इमरान खान को जरूर होगा। पाकिस्‍तान के अखबार डॉन की मानें तो वहां पर राजनीतिक जानकार यह नहीं मान रहे हैं कि मौजूदा समय में तुरंत दोबारा चुनाव करवाए जाएंगे। वहीं दूसरी ओर देश की सत्‍ता पर कौन काबिज होगा इसको लेकर जरूर कुछ नाम गूंज रहे हैं।

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नवाज का इस्‍तीफा और फौजी शासन की अटकलें

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब नवाज ने अपने पद से इस्‍तीफा भी दे दिया है। लिहाजा पाकिस्‍तान की सियासत में आए इस भूचाल के बाद शरीफ की पार्टी पाकिस्‍तान मुस्लिम लीग (नवाज) को नया नेता चुनना होगा। इस फैसले के बाद नवाज को पीएम की कुर्सी के साथ-साथ पार्टी अध्यक्ष पद से भी हाथ धोना होगा। नवाज के सत्ता से हटने के बाद पाकिस्‍तान में फौजी शासन को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं। लेकिन भारत के पूर्व विदेश सचिव रहे सलमान हैदर इस बात की आशंका से इंकार करते हैं कि पाकिस्तान में एक बार फिर फौजी शासन आएगा। उन्‍होंने कहा कि मौजूदा समय में फौज इतनी ताकतवर नहीं है कि वह सत्ता को अपने हाथों में ले। Jagran.Comसे बात करते हुए उन्‍होंने कहा कि नवाज के खिलाफ फैसले से वहां पर अस्थि‍रता का माहौल पैदा हो सकता है जो कि भारत के लिए सही नहीं होगा। इस बातचीत के दौरान उन्‍होंने यह भी कहा कि भारत अपने पड़ोसी देशों में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकारों की हमेशा से इज्‍जत करती है, भले ही हमारे आपसी संबंध कैसे भी रहे हों।

परिवार के हाथों से छिन रही देश्‍ा की सत्ता

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इसलिए भी अहम है क्‍योंकि सत्ता अब उनके परिवार के हाथों से बाहर जा सकती है। दूसरी तरफ मुख्‍य विपक्षी पीपीपी भी बहुत मजबूत स्थिति में नहीं है। हालांकि पहले से ही यह कयास लगाए जा रहे हैं कि नवाज के भाई शाहबाज उनकी जगह ले सकते हैं। वह फिलहाल पंजाब सूबे के मुख्‍यमंत्री हैं। लेकिन इमरान खान ने उनके खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की हुई है। इसमें शाहबाज को अयोग्‍य करार देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि पेशे से उद्योगपति शाहबाज अपने हर फैसले को अपने बिजनेस के नफा-नुकसान को देखते हुए लेते रहे हैं। उनके लिए देश दूसरे नंबर पर आता है, जबकि उनका कारोबार पहले नंबर पर आता है।

नेशनल असेंबली के सदस्‍य नहीं शाहबाज

लेकिन उनके पीएम बनने को लेकर एक तकनीकी समस्‍या यह भी है कि वह फिलहाल नेशनल असेंबली के सदस्‍य नहीं हैं। लिहाजा उनके पीएम बनने को लेकर भी कुछ तकनीकी खामी है। लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि वह न सिर्फ नवाज के काफी करीब रहे हैं, बल्कि पिछले दिनों हुई कई हाईप्रोइफाइल बैठकों में भी शिरकत करते रहे हैं। यह कहा जा सकता है कि नवाज अपने पीएम पद पर रहते हुए उन्‍हें प्रधानमंत्री पद के लिए योग्‍य उम्‍मीद्वार के तौर पर दिखाने की कोशिश कर रहे थे। उत्तराधिकारी को लेकर शाहबाज के साथ-साथ उनकी बेटी मरियम नवाज का नाम भी आ रहा था लेकिन उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दोषी ठहराया है, इसलिए उनका नाम भी इस रेस से बाहर हो जाता है। इन दोनों के बाद ख्‍वाजा मुहम्मद आसिफ, राणा तनवीर, शाहिद खकान अब्बासी और शेख आफताब का नाम भी चर्चा में है, लेकिन यह इतने बड़े दावेदार नहीं माने जा रहे हैं।

इन नामों की भी चर्चा

इनमें भी राणा तनवीर और शेख आफताब और चौधरी निसार के बाद ख्‍वाजा आसिफ और शाहिद खकान को नवाज के काफी करीब माना जाता है। इन सभी के अलावा एक नाम अयाज सादिक का भी है जो नवाज के भरोसेमंद लोगों में शामिल हैं और नेशनल असेंबली के सदस्यों के बीच खासा असर भी रखते हैं। इसके अलावा वह जोड़-तोड़ में भी माहिर खिलाड़ी हैं। लिहाजा पीएम पद की दौड़ में ख्‍वाजा आसिफ, अयाज सादिक और शाहिद खकान सबसे आगे हैं। इन सभी के अलावा एक नाम नवाज की पत्नी कुलसुम नवाज का भी चर्चा में है। इसकी वजह यह भी है कि नवाज के निर्वासन के दौरान मुस्लिम लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच कुलसुम बेहद सक्रिय और लोकप्रिय थीं। 

कोर्ट की टिप्‍पणी

इससे पहले 21 जुलाई को सुनवाई के दौरान जस्टिस सईद ने कहा कि अदालत अपना फैसला सुनाते हुए किसी कानून से विचलित नहीं होगी। हम याचिकाकर्ताओं और प्रतिवादियों के मौलिक अधिकारों के प्रति सचेत हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दस खंडों वाली रिपोर्ट का अंतिम हिस्सा भी खोला, जिसे संयुक्त जांच दल (जेआईटी) ने दाखिल की थी। उच्चतम न्यायालय ने शरीफ और उनके परिवार पर लगे धनशोधन के आरोपों की जांच के लिए जेआईटी गठित की थी। जेआईटी ने कहा था कि रिपोर्ट का दसवां खंड गोपनीय रखा जाए, क्योंकि इसमें दूसरे देशों के साथ पत्राचार का ब्‍यौरा है। शरीफ के वकीलों की टीम ने इस पर एतराज जताया था। अदालत ने अधिकारियों को आदेश दिया कि खंड की एक प्रति शरीफ के वकील ख्वाजा हारिस को सौंपी जाए।


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