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तबाही मचा सकते थे स्पेन में गिरे अमेरिका के चार हाइड्रोजन बम, लेकिन...

सिर्फ 2 मिनट में सारी दुनिया तबाही का वह नजारा देखती जिसे अभी तक किसी ने नहीं देखा था। एक झटके में ही पूरे देश का नामोनिशान मिट जाता।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 11 Sep 2017 10:39 AM (IST)Updated: Mon, 11 Sep 2017 04:06 PM (IST)
तबाही मचा सकते थे स्पेन में गिरे अमेरिका के चार हाइड्रोजन बम, लेकिन...
तबाही मचा सकते थे स्पेन में गिरे अमेरिका के चार हाइड्रोजन बम, लेकिन...

नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। हाइड्रोजन बम का जिक्र आते ही एक भयावह तस्वीर उभरकर सामने आती है। दूसरे विश्व युद्ध में जापान के दो शहरों पर गिरे एटम बम ने जो तबाही मचाई थी, उसको देखते हुए अच्छा ही है कि दोबारा इस तरह की तबाही का मंजर दुनिया के सामने नहीं आया है। लेकिन शीत युद्ध के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया था, जब दुनिया को इससे भयंकर मंजर देखने को मिल सकता था। यह सब होता अमेरिकी विमानों की गलती से, जो उस वक्त स्पेन के आसमान में थे।

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अमेरिका से यूरोप तक गश्त 

दरअसल, वह शीतयुद्ध का दौर था। सोवियत रूस के किसी भी संभावित परमाणु हमले से बचने के लिए अमेरिकी वायुसेना के विमान एटम बम और हाइड्रोजन बम से लैस होकर 24 घंटे अमेरिका से यूरोप तक गश्त लगाकर लौट आते थे। इसे 'ऑपरेशन क्रोम डोम' कहा जाता था। 16 जनवरी, 1966 को भी अमेरिका के उत्तरी कैरो‍लीना के एयरबेस से बी-52 विमान ने उड़ान भरी। यूरोप पहुंचने के बाद उसे स्पेन के आसमान में केसी-135 स्ट्राटोटैंकर विमान से 31 हजार फुट की ऊंचाई पर हवा में ही ईंधन भरना था। 500 मील प्रतिघंटा की रफ्तार से बमवर्षक और टैंकर विमान एक दूसरे के करीब आए। टैंकर विमान से निकली नली को तेल भरने के लिए बी-52 से जुड़ना था। लेकिन ठीक से तालमेल नहीं बैठ पाया। फिर वही हुआ जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।

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आग के गोले में तबदील हो गए विमान 

गफलत में दोनों विमान आपस में तालमेल नहीं बिठा सके और टकरा गए। इसके साथ ही स्पेन के आसमान में एक जबरदस्त धमाका हुआ और दोनों विमान आग के गोले में तबदील हो गए। जलते हुए बी-52 बमवर्षक के साथ चारों हाइड्रोजन बम भी तेजी से जमीन पर गिरे, लेकिन वे फटे नहीं, वरना धरती पर हाइड्रोजन बम का पहला हमला दुनिया देख लेती। स्पेन में बी-52 विमान से जो हाइड्रोजन बम गिरा था वह था बी-28 हाइड्रोजन बम। बी28 बहुत ही ताकतवर हाइड्रोजन बम है, जिससे होने वाली तबाही हिरोशिमा और नागासाकी से भी कई गुना ज्यादा विनाशकारी होती। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

रेडियोऐक्टिव विकिरण का प्रभाव महसूस किया गया

दरअसल, विमान से नीचे गिरे चारों हाइड्रोजन बमों में से एक सूखी नदी के तट पर गिरा, दूसरा भूमध्य सागर में, जबकि तीसरा जमीन में जा धंसा और चौथे के जमीन से टकराने से जबरदस्त धमाका हुआ। बेशक, यह एटमी धमाका नहीं था, लेकिन इस धमाके से पूरा शहर 3 किलोग्राम प्लूटोनियम-239 से प्रदूषित हो गया। प्लूटोनियम-239 से रेडियोऐक्टिव विकिरण फैल गया। शहर के 500 एकड़ के इलाके में विकिरण का प्रभाव महसूस किया गया।

तबाह होने से बच गया स्पेन 

उस दिन फ्लोमारेस के लोग बच गए थे। इस हादसे की जांच के बाद इसकी वजह पता चली कि अमेरिकी बमवर्षक विमान पलटवार के मिशन पर जरूर था, लेकिन चालक दल ने हाइड्रोजन बम का इलेक्ट्रिक सर्किट ऑन नहीं किया था, जिसकी वजह से स्पेन तबाह होने से बच गया।

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पल भर में स्वाह हो जाता शहर

दरअसल, हाइड्रोजन बम शक्तिशाली परमाणु बम है। इसमें हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यूटीरियम और ट्राइटीरियम की आवश्यकता पड़ती है। परमाणुओं के फ्यूजन से इसमें विस्फोट होता है। इसके लिए बड़े ऊंचे तापमान लगभग 500,00,000 डिग्री सेल्सियस की आवश्यकता पड़ती है। यह ताप सूर्य के ऊष्णतम भाग के ताप से बहुत ज्यादा है। परमाणु बम द्वारा ही इतना ज्यादा ताप प्राप्त किया जा सकता है। जब परमाणु बम आवश्यक ताप उत्पन्न करता है तभी हाइड्रोजन परमाणु जनरेट होते हैं। इससे ऊष्मा और शक्तिशाली किरणें उत्पन्न होती हैं जो हाइड्रोजन को हीलियम में बदल देती हैं। इसका धमाका पलभर में पूरे शहर को तबाह कर सकता है।

भाप बन कर उड़ जाते लाखों लोग

जिस तरह से स्पेन जैसे छोटे देश पर चार हाइड्रोजन बम गिरे थे, अगर वह फट जाते तो मुमकिन है कि स्पेन दुनिया के नक्शे से ही गायब हो जाता। लाखों लोग भयंकर तापमान में भाप बनकर उड़ जाते। यहां पर यह इसलिए बताया जा रहा, क्योंकि उत्तर कोरिया ने पिछले दिनों ही सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण किया है। ऐसे में दुनिया को खतरा बढ़ गया है। वहीं दूसरी ओर जिस तरह से अमेरिका और उत्तरी कोरिया में संघर्ष के आसार दिखाई दे रहे हैं उसको देखते हुए विश्व की चिंता को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। 

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