Bihar News: 100 करोड़ के जीएसटी घोटाले में अभी कई और अफसर-एक्सपोर्टर निशाने पर
सीबीआई 100 करोड़ रुपये के एक बड़े घोटाले की जांच कर रही है, जिसमें फर्जी निर्यात दिखाकर 800 करोड़ रुपये के फर्जी बिलों के माध्यम से कर वापसी (रिफंड) प्राप्त की गई। इस मामले में सीमा शुल्क अधिकारी और निर्यातक शामिल हैं। सीबीआई ने बिहार-झारखंड में छापेमारी की है और कई अधिकारियों व 29 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

राज्य ब्यूरो, पटना। सौ करोड़ के घोटाले में सीबीआई की कार्रवाई के बाद इस मामले में कई और अफसरों और निर्यातकों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, सीबीआई को अपनी कार्रवाई के दौरान कई अहम जानकारियां मिली हैं, जिनके आधार पर वह अपनी जांच को आगे बढ़ाने में जुट गई है।
सीबीआई ने पटना के सीमा शुल्क के तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त तथा चार सीमा शुल्क अधिकारियों समेत 29 अन्य के खिलाफ दर्ज मामले में शनिवार को बिहार-झारखंड के सात ठिकानों पर छापेमारी की थी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पहली बार इस घोटाले की भनक तब लगी, जब बिहार-नेपाल सीमा पर स्थित कस्टम स्टेशन-जयनगर, भीमनगर और भिट्टामोर से असामान्य रूप से निर्यात बढ़ने लगा। साथ ही निर्यात के अनुपात में इनपुट टैक्स क्रेडिट का क्लेम लेने से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित टूल्स ने अधिकारियों को सिग्नल दिया।
तब जीएसटी की एक विशेष टीम ने मामले की निगरानी शुरू की। बाद में इतनी बड़ी राशि की हेराफेरी देखते हुए मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने जांच में पाया कि फर्जी बिलों के माध्यम से करीब 800 करोड़ का फर्जी निर्यात दिखाया गया। इनमें अधिकांश निर्यात की गई वस्तुएं 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत के जीएसटी स्लैब में थीं, जिससे इन निर्यातकों को लगभग 100 करोड़ का रिफंड प्राप्त हुआ।
सूत्रों का कहना है कि निर्यात में असामान्य वृद्धि को अधिकारी रणविजय कुमार सिन्हा ने न केवल नजरअंदाज किया, बल्कि शिपिंग बिलों के संबंध में लेट एक्सपोर्ट आर्डर (एलईओ) को नियमित करने के लिए अधीक्षकों को मौखिक निर्देश दिए भी दिए। अब सबूतों को आधार बनाकर सीबीआइ अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ाने में जुट गई है। जल्द ही इस मामले में कुछ और अफसर-कर्मियों पर कार्रवाई संभव है।
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