विधायक और एमएलसी में अंतर जानना चाहते है ताे पढ़िए ये खबर, पता चल जाएगा कैसे बनते है एमएलसी
UP MLC Election 2022 एमएलसी का दर्जा विधायक के बराबर होता है। बस उसके चुनाव की प्रक्रिया कार्यकाल और उम्र में अंतर होता है। एमएलसी का चुनाव विधायक करता है।इसके अलावा अन्य सदस्य भी उसके चुनाव में अपनी भागीदारी निभाते है।

बरेली, जेएनएन। UP MLC Election 2022 : विधानसभा चुनाव के बाद एमएलसी चुनाव को लेकर राजनीतिक सगर्मियां बढ़ी हुई है।जिसके मतदान की तैयारी चल रही है। नौ अप्रैल को मतदान होने के बाद 12 अप्रैल को परिणाम घोषित हो जाएगा।अब आप ये जानना चाहेंगे कि आखिर विधायक और एमएलसी में क्या अंतर होता है? एमएलसी कैसे बनता है? और वह क्यों चुना जाता है? आइए हम बताते है आपको कि एमएलसी कौन होता है?
दरअसल में एमएलसी विधान परिषद सदस्य होता है।जबकि एमएलए विधायक होता है।इन दोनों के कार्यकाल में मात्र एक वर्ष का अंतर होता है।जैसे विधायक का कार्यकाल पांच वर्षों का होता है तो इसका कार्य काल उससे एक साल अधिक यानि छह वर्ष का होता है।इन दोनों की न्यूनतम उम्र में भी फर्क है।एमएलसी के लिए न्यूनतम उम्र सीमा 30 साल है जबकि विधायक के लिए यही उम्र सीमा 25 वर्ष है।विधायक का चुनाव सीधे जनता करती है।
विधायक चुनते है एक तिहाई सदस्य
जिन राज्यों मेंं विधान परिषद होती है उनमें निर्धारित विधान परिषद सदस्यों की एक तिहाई सीटों पर सदस्यों का चुनाव विधायक करते है।बाकी एक तिहाई सीटों पर सदस्यों का चुनाव नगर निगम, नगरपालिका, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के सदस्य करते है।इसके साथ ही शिक्षक व रजिस्टर्ड ग्रेजुएट क्रमश: 1/12-1/12 सदस्यों का चुनाव करते है।अब जान लेते ही देश के किन राज्यों में विधान परिषद है तो आपको बता दे कि देश में यूपी सहित छह राज्यों महाराष्ट्र, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना कर्नाटक में विधान परिषद है।
विधायक के बराबर होता है एमएलसी
दर्जे में एमएलसी विधायक के बराबर ही होता है।जब बात विधान परिषद की सीटों की गणना की आती है तो यह भी जान लेते है कि विधान परिषद में एक तिहाई से ज्यादा सदस्य नहीं होने चाहिए।उदाहरण के तौर पर यूपी में विधान परिषद में 134 से अधिक सदस्य नहीं हो सकते, क्योंकि यहां 403 विधानसभा सदस्य हैं।विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्य होने की अनिवार्यता है।
यूपी में विधायक चुनते है 38 सदस्य
यूपी विधान परिषद में 38 सदस्यों को विधायक चुनते हैं।जबकि इनकी संख्या 100 होती है।इसके साथ ही 36 सदस्यों का चुनाव स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और नगर निगम या नगरपालिका के निर्वाचित प्रतिनिधि करते हैं। 10 सदस्यों को राज्यपाल मनोनीत करते हैं।8-8 सीटें शिक्षक निर्वाचन और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के खाते में जाती हैं।
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