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    हरियाणा में अब पुरुष कर्मचारियों को भी मिलेगा 15 दिन का पितृत्व अवकाश

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Fri, 22 Jul 2016 11:23 PM (IST)

    हरियाणा में सभी पुरूष कर्मचारी अपनी पत्नी की प्रसूति के दौरान 15 दिन का पितृत्व अवकाश लेने के पात्र होंगे। इसके अलावा सर्विस नियमों में अन्य बदलाव भी किए गए हैं।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। प्रदेश सरकार ने सन् 1953 में बनाए गए पंजाब सिविल सेवा नियमों को निरस्त करते हुए हरियाणा सिविल सेवा नियम लागू कर दिए हैैं। अब कर्मचारी अपनी परिवीक्षा (प्रोबेशन) अवधि के संतोषजनक रूप से पूरा होने पर प्रथम नियुक्ति पद पर ही 'कन्फर्मÓ माने जाएंगे। इसके अतिरिक्त, सभी पुरूष कर्मचारी अपनी पत्नी की प्रसूति के दौरान 15 दिन का पितृत्व अवकाश लेने के पात्र होंगे।

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    वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने शुक्रवार को यहां बताया कि पुरूष कर्मचारी अपने दो से कम बच्चों के होने पर पत्नी की प्रसूति या एक वर्ष से कम आयु के बच्चों को गोद लेने के समय 15 दिन का पितृत्व अवकाश प्राप्त करने के पात्र होंगे। हरियाणा सिविल सेवा नियमों के तहत अब प्रत्येक कर्मचारी को उनकी परिवीक्षा अवधि के संतोषजनक रूप से पूरा होने पर उनकी प्रथम नियुक्ति पद पर ही 'कन्फर्मÓ कर दिए जाएगा, चाहे स्थायी पद उपलब्ध हो या न हो।

    कैप्टन ने बताया कि किसी अन्य विभाग या सरकार में एक्स-कॉडर पद पर कार्यरत वर्तमान कर्मचारियों को यह विकल्प देना होगा कि वे किस कॉडर या पद पर रहना चाहते हैं। उच्च पद से निम्र पद पर नियुक्ति के मामले में वेतन सुरक्षित नहीं किया जाएगा चाहे इसका कोई भी कारण हो।

    खतरनाक काम करने वाले कर्मचारी 730 दिन के अवकाश के हकदार

    खतरनाक मशीनरी या विस्फोटक सामग्री की संभाल की डयूटी करने वाले गु्रप डी या गु्रप सी के कर्मचारी अब केंद्रीय तर्ज पर 120 दिन के बजाय 730 दिनों का अस्पताल अवकाश प्राप्त करने के पात्र होंगे। जनहित में स्थानांतरण के मामले में कर्मचारी को दो हजार रुपये या इससे अधिक की कंपोजिट ट्रांसफर ग्रांट दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, सभी कर्मचारी कार की खरीद के लिए अपने जीपीएफ में से राशि निकलवा सकेंगे, चाहे उनका वेतन कितना ही हो। दूसरे मकान के लिए जीपीएफ से निकलावाई जाने वाली राशि की सीमा को जीपीएफ में उपलब्ध राशि का 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत किया गया है।

    पंचायत व सामाजिक संगठनों द्वारा घोषित तलाक कानूनी नहीं

    नए नियमों के तहत पंचायत या सामाजिक संगठनों द्वारा घोषित तलाक को कानूनी तलाक नहीं माना जाएगा। अब गुमशुदा कर्मचारी का परिवार गुमशुदगी की एफआईआर दर्ज होने की तिथि से एक वर्ष की बजाय छह मास की अवधि के बाद पेंशन लाभ प्राप्त करने का पात्र होगा। इसके अलावा पारिवारिक पेंशन के लिए परिवार की परिभाषा को भी केंद्रीय तर्ज पर बदला गया है। अब 25 वर्ष से कम आयु का आश्रित पुत्र यदि विवाह कर लेता है तो वह पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने के लिए परिवार का पात्र सदस्य नहीं होगा। पात्र बच्चों में कानूनी तौर पर गोद लिए गए बच्चों, विधवा या तलाकशुदा बेटी शामिल हैं। मृत सरकारी कर्मचारी की कानूनी तौर पर विवाहित पत्नी को ही पत्नी माना जाएगा।

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    निलंबन पर हर छह माह में संशोधित होगा निर्वाह भत्ता


    पेंशन अंशदान की दर को सरल बनाते हुए इसे सरकारी कर्मचारी की सेवा अवधि के आधार पर 10 प्रतिशत, 15 प्रतिशत और 20 प्रतिशत संशोधित किया गया है। नए नियमों के अनुसार अब निलंबन के मामले में निर्वहन भत्ता प्रत्येक छह मास के बाद संशोधित किया जा सकेगा जबकि पहले सजा देने वाले प्राधिकारी निलंबन के पहले छह मास के बाद केवल एक बार ही इसे संशोधित करने में सक्षम थे।

    ये सेवा नियम भी होंगे लागू

    - सेवानिवृत्त कर्मचारी के विरुद्घ किसी भी समय न्यायिक प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी।
    - 20 किलोमीटर या इससे अधिक दूरी के स्टेशन पर दौरे के समय ही दैनिक भत्ता दिया जाएगा।
    - लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह या हरियाणा भवन आदि में रूकने पर हुए खर्च का पुनर्भुगतान किया जाएगा। इसके लिए कर्मचारी को अपने दैनिक भत्ते का 25 प्रतिशत छोडऩा होगा।
    - होटल में ठहरने के मामले में पूरे दैनिक भत्ते की बजाय आधा दैनिक भत्ता दिया जाएगा क्योंकि होटल द्वारा नाश्ता नि:शुल्क उपलब्ध करवाया जाता है।

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