जम्मू-कश्मीर में नदी-नाले उफान पर, बाढ़ में बहने से भाई-बहनों की मौत; बचाव में जुटी SDRF
जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश और बाढ़ ने जानलेवा स्थिति पैदा कर दी है, जिससे नदी-नाले उफान पर हैं। राजौरी में बाढ़ के कारण दो चचेरे भाई-बहनों की डूबने से मौत हो गई, जबकि कठुआ में दो लोगों को सुरक्षित बचाया गया। चिनाब नदी के किनारे एक सैरगाह का हिस्सा जलस्तर बढ़ने से बह गया, जिसके लिए स्थानीय लोगों ने लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया और सुरक्षा दीवार बनाने की मांग की। प्रशासन से क्षतिग्रस्त हिस्से को बंद रखने की अपील की गई है।

जम्मू-कश्मीर में नदी नाले उफान पर (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में कहीं वर्षा तो कहीं बाढ़ की स्थित जानलेवा बनती जा रही है। नदी-नाले भी उफान पर हैं। गुरुवार को राजौरी जिला के कालाकोट में सुबह तेज बारिश से नाले में आई बाढ़ के दौरान डूबने से चचेरे भाई-बहनों की मौत हो गई।
एक बच्ची को ग्रामीणों ने सुरक्षित बाहर निकाल लिया। प्रशासन ने बारिश को देखते हुए लोगों से जलस्रोतों के पास नहीं जाने की सलाह दी है। इस बीच, कठुआ जिला के उज्ज दरिया में आई बाढ़ में दो लोग फंस गए। इनमें से एक के पास मोबाइल फोन था। उसने अपने परिजनों को सूचना दी, जिसके बाद पुलिस व एसडीआरएफ ने राहत अभियान चलाकर दोनों को सुरक्षित निकाल लिया।
चिनाब नदी के किनारे सैरगाह का हिस्सा प्रभावित
चिनाब नदी के किनारे सैरगाह का एक हिस्सा हालिया बारिश के चलते बढ़ जलस्तर की चपेट में आकर बह गया। इस पर क्षेत्रवासियों ने नगर पालिका अखनूर और लोक निर्माण विभाग के बिजली विंग की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही जल्द सुरक्षा दीवार बनाने की मांग उठाई है, ताकि जमीन को और नुकसान न हो।
जानकारी के अनुसार, जियोपोता घाट से चंदिया घाट तक लाइट व पोल लगाने के लिए लगभग एक माह पूर्व नाली निकाली गई थी, जो आज तक अधूरी पड़ी है। इस नाली में बारिश का पानी भर गया, जिससे सैरगाह की नींव कमजोर हो गई और नदी का जलस्तर बढ़ने पर सैरगाह का एक हिस्सा धंस गया।
क्षेत्रवासी विशाल शर्मा, सनी शर्मा, राजन, राकेश और प्रेम शर्मा ने बताया कि वह वर्षों से इस सैरगाह पर सैर करते आ रहे हैं, लेकिन मूलभूत सुविधाओं की हमेशा कमी रही है। अब जब लाइट लगाने का कार्य शुरू हुआ तो विभाग की लापरवाही से अधूरी नाली न सिर्फ सैरगाह की खूबसूरती बिगाड़ गई, बल्कि लाखों का नुकसान हो गया।
हर्ष शर्मा ने बताया कि यह स्थान लोगों के स्वास्थ्य व मानसिक शांति के लिए जरूरी स्थल बन चुका था, लेकिन अब ट्रैक धंसने से यहां खतरा बना हुआ है। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि जब तक मरम्मत नहीं होती तब तक इस हिस्से को बंद रखा जाए। गौरतलब रहे कि इससे पहले भी बरसात के दौरान ज्यौड़ियां क्षेत्र में कई जगह किसानों की जमीन बह चुकी है।
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