ब्रह्माज्ञान से ही होता है परमात्मा से साक्षात्कार : हरिप्रिया भारती
संस, मानसा भगवान शिव का वाहन नंदी है, जो धर्म का प्रतीक है। भगवान शिव इस वाहन पर सवार ह
संस, मानसा
भगवान शिव का वाहन नंदी है, जो धर्म का प्रतीक है। भगवान शिव इस वाहन पर सवार होकर मनुष्य को प्रेरित कर रहे हैं कि मनुष्य को भक्ति धर्म पर सवार होकर करनी चाहिए। ये विचार साध्वी हरिप्रिया भारती ने तीन दिवसीय शिव कथा के अंतिम दिन श्रद्धालुओं के सन्मुख कही। शिव कथा का आयोजन दिव्य ज्योति जागृति संस्थान सुनाम ब्रांच की ओर से वार्ड नंबर 12 रेलवे पार्क में किया गया था। इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत साध्वी बहनों की अगुआई में शिव शक्ति गायन से की गई। साध्वी हरिप्रिया भारती ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में धर्म को महत्वपूर्ण स्थान देना चाहिए, क्योंकि धर्म से ही मनुष्य में सहनशीलता, समय, मन का संयम आदि का संचार निरंतर होता रहता है। इन गुणों से मनुष्य के जीवन में सुख व शांति आती है। उन्होंने कहा कि आज का मनुष्य धर्म की वास्तविक परिभाषा को भूलकर केवल सांप्रदायिकता को धर्म मान बैठा है। इसी कारण मनुष्य प्रत्येक इंसान से दूर हो रहा है। उन्होंने फरमाया कि अगर विश्व इतिहास के पन्ने पलट कर देखा जाए, तो सांप्रदायिकता के नाम पर धर्म खून से लथपथ पड़ा हुआ है। धर्म के नाम पर सबसे संप्रदा के नाम ही दर्ज है। इन्हीं सांप्रदायिक भावनाओं को बरकरार रखने के लिए विभिन्न संस्थाओं के श्रद्धालुओं ने हंसते-हंसते अपनी हस्ती मिटा ली है। खुद के निर्माण किए गए स्थानों को यथावत रखने के लिए भगवान द्वारा निर्मित मंदिर अर्थात मनुष्य को पलभर में तबाह कर दिया। ऐसा खून-खराबे वाला मार्ग धर्म नहीं। यह केवल असली धर्म को ही जानकर संभव हो सकता है, जो सनातन है, पुरातन है। श्रद्धालुओं के सन्मुख साध्वी बहन ने आगे फरमाया कि सृष्टि के आरंभ से लेकर प्रलय तक तथा प्रलय के बाद हजारों साल तक रहने वाला सिर्फ ब्रह्ममज्ञान ही है। जिसे धारण करने से मनुष्य को अपने अंदर परमात्मा के दर्शन होते है। इस कार्यक्रम में साध्वी बहनों के भजनों ने श्रद्धालुओं को झूमने के लिए विवश कर दिया।
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