बच्चों को टाइप-2 डायबिटीज से बचाने के लिए CBSE ने उठाया कदम, रखा जाएगा बच्चे के मीठा खाने का रिकाॅर्ड; पढ़ें डिटेल
बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को देखते हुए नोएडा में CBSE ने स्कूलों को शुगर बोर्ड लगाने का निर्देश दिया हैं। बच्चे शिक्षक को मीठा खाने की जानकारी देंगे जिससे स्कूल बच्चों में चीनी का सेवन नियंत्रित कर सकें। यह पहल बच्चों को डायबिटीज से बचाने में मदद करेगी।
जागरण संवाददाता, नोएडा: बच्चों में टाइप-2 मधुमेह बीमारी तेजी से बढ़ रही है। इस पर रोक लगाने के लिए CBSE ने स्कूलों को शुगर बोर्ड लगाने के निर्देश दिए हैं। स्कूलों में बोर्ड बताएगा कि बच्चे ने दिनभर में कितना मीठा खाया है।
बच्चों ने अगर चाॅकलेट, कोल्ड ड्रिंक, जंक फूड आदि खाया तो रोज इसकी जानकारी शिक्षकों को देनी होगी। शिक्षक बोर्ड पर बच्चे के नाम के सामने दिनभर में कितना मीठा खाया लिखेगा।
बच्चों को स्कूल में बताया जाएगा कि दिन में कितना मीठा खा सकते हैं। सीबीएसई दिशा निर्देश मिलने के बाद स्कूलों ने शुगर बोर्ड लगाने की तैयारियां शुरू कर दी है।
बच्चों में बढ़ रहा है टाइप-2 डायबिटीज का खतरा
बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज का बढ़ता खतरा अभिभावकों के लिए परेशानी बन गया है। स्कूल शुगर बोर्ड स्थापित कर अत्यधिक चीनी सेवन के जोखिमों के प्रति जागरूक करेंगे।
डाॅक्टरों के अनुसार हर 3 में से एक बच्चे में टाइप-2 डायबिटीज देखने को मिल रही है। पहले बच्चों को टाइप-1 डायबिटीज हो रही थी, लेकिन अब 13 से 14 साल तक के बच्चों में टाइप-2 अधिक पाई जा रही है।
इलाज के दौरान 20 से 30 प्रतिशत बच्चों में यह बीमारी देखने को मिल रही है। बच्चे जंक फूड, पैकेज्ड फूड, कोल्ड ड्रिंक आदि का सेवन कर रहे हैं।
जागरूकता के लिए स्कूलों में होंगे सेमिनार और लगेंगी वर्कशाॅप
जागरूकता के लिए स्कूलों में सेमिनार व वर्कशॉप भी आयोजित की जाएंगी। उसकी रिपोर्ट फोटो सहित 15 जुलाई तक सीबीएसई को भेजनी होगी।
एपीजे स्कूल प्राचार्य ने बताया कि शुगर बोर्ड लगाने की तैयारियां शुरू कर दी है। शिक्षकों को भी निर्देश दे दिए गए हैं। कि रोजाना बोर्ड को बच्चों से पूछकर अपडेट कर दें।
4 से 10 वर्ष की उम्र के बच्चों में रोज की कैलोरी में चीनी का हिस्सा 13 प्रतिशत और 11 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए 15 प्रतिशत है, जो निर्धारित 5 प्रतिशत की सीमा से काफी अधिक है। अभिभावक बच्चे को पैकेज्ड फूड, जंक फूड न खिलाएं। इससे अच्छे एंजाइम और हार्मोंस पर बुरा असर पड़ता है।
- कामिनी सिन्हा, डायटीशियन
बच्चों को डायबिटीज से बचाने के लिए ये करें
- बच्चे को खाने में प्रोटीन, फाइबर व न्यूट्रिशियन शामिल करें।
- रोजाना खाने में फल, चावल, रोटी और मौसमी सब्जियों को दें।
- खेल कूद जैसी गतिविधियों को बच्चों की दिनचर्या में शामिल करें।
बच्चों को घर का भोजन ही दें। डायबिटीज जेनेटिक होने के कारण भी बच्चों में देखने को मिल रही है। 10 साल की उम्र से बच्चे का चेकअप कराएं। समय से डायबिटीज की जानकारी मिलने से आसानी से लगाम लगाई जा सकेगी।
- डाॅ. कर्नल विमल उप्रेती, एंडोक्रिनोलाॅजिस्ट, मैक्स सुपरस्पेशयलिटी, अस्पताल
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