मोतीलाल वोरा स्मृति शेष : ...और डरी-सहमी मायावती को मोतीलाल वोरा ने बनवाया था यूपी का सीएम
यूपी के गेस्ट हाउस कांड के वक्त तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल वोरा की अहम भूमिका को नहीं भुला सकते। उन्होंने मायावती की मदद न सिर्फ राज्यपाल के तौर पर की बल्कि कांग्रेस के नेताओं को गेस्ट हाउस भेजा और मायावती को रातों-रात मुख्यमंत्री पद की शपथ भी दिलाई।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश की राजनीति में कोई 1995 का गेस्ट हाउस कांड नहीं भूल सकता तो उस घटनाक्रम से जुड़े लोग तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल वोरा की अहम भूमिका को भी नहीं भुला सकते। बेशक, मोतीलाल वोरा लोहिया की समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर राजनीति में आए, लेकिन संकट के उस दौर में उन्होंने बसपा मुखिया मायावती की मदद न सिर्फ राज्यपाल के तौर पर की, बल्कि कांग्रेस के नेताओं को गेस्ट हाउस भेजकर मायावती तक संदेश भी पहुंचवाया और रातों-रात उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ भी दिलाई।
कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा 1993 से 1996 तक अविभाजित उत्तर प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। उनसे जुड़े कई संस्मरण यहां के पुराने नेताओं के जेहन में हैं, लेकिन कुछ किस्से यादगार हैं। कांग्रेस की प्रदेश सरकार में मंत्री रहे सत्यदेव त्रिपाठी बताते हैं कि दो जून 1995 को जब बसपा प्रमुख मायावती ने समर्थन वापसी की घोषणा कर दी तो तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई। इससे नाराज सपाइयों ने मायावती पर गेस्ट हाउस में हमला कर दिया।
बसपा मुखिया को दो दिन राजभवन में रखा : पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी बताते हैं कि तब वह कांग्रेस के प्रदेश महासचिव थे। मोतीलाल वोरा ने उन्हें और पूर्व विधायक मुईद अहमद को मीराबाई मार्ग स्थित वीआइपी गेस्ट हाउस संदेश लेकर भेजा कि यदि मायावती भाजपा का लिखित समर्थन दे सकें तो उन्हें शपथ दिला दी जाएगी। तब भाजपा व जनता दल ने बाहर से समर्थन दिया और मोतीलाल वोरा ने उसी रात मायावती को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी। यही नहीं, शपथ लेने के बाद भी मायावती घबराई हुई थीं। तब मोतीलाल वोरा जी ने उन्हें दो दिन तक राजभवन के गेस्ट हाउस में ही रखा था।
जनता के लिए खोले थे राजभवन के द्वार : राजभवन से अमूमन आम जनता की दूरी ही रही है, लेकिन 1993 से 1996 तक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहते मोतीलाल वोरा ने राजभवन के द्वार आम जनता के लिए खोल दिए थे। उस दौर में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और फिर मायावती के प्रमुख सचिव रहे पीएल पुनिया (वर्तमान में कांग्रेस सांसद) बताते हैं कि राज्यपाल की निधि मुख्यमंत्री की तुलना में कम होती है। इसके बावजूद तब राजभवन में जनता दरबार लगने लगा था। जो भी पहुंचता, उसकी मदद मोतीलाल वोरा जी करते थे। एक खास बात यह कि उन्हें गायों से बहुत प्रेम था। वह रामधुन बजाकर गायों की सेवा करते थे। तर्क देते कि रामधुन सुनकर गायें अधिक दूध देती हैं।