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    आदिवासी महासभा के पत्थलगड़ी का माझी पारगना माहाल ने किया विरोध

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 11 Jun 2018 06:55 PM (IST)

    झारखंड के कई जिलों में पत्थलगड़ी करने की परंपरा सरकार के

    आदिवासी महासभा के पत्थलगड़ी का माझी पारगना माहाल ने किया विरोध

    संवाद सहयोगी, घाटशिला : झारखंड के कई जिलों में पत्थलगड़ी करने की परंपरा सरकार के लिए सरदर्द बन गई है। सरकार का पूरा प्रशासनिक अमला पत्थलगड़ी कर संविधान की गलत व्याख्या करने वालों पर कड़ी कार्रवाई में लगा हुआ। अलग-अलग जिला में शुरू हुई पत्थलगड़ी के परंपरा की रोकथाम के लिए प्रशासन सख्ती से लगा हुआ है। झारखंड के कई जिलों में चलाए जा रहे पत्थलगाड़ी व संविधान की गलत व्याख्या किए जाने का भारत जाकात माझी परगना महाल ने भी विरोध जताया। माझी परगना महाल के राष्ट्रीय महासचिव रामचंद्र मुर्मू व माहाल के सदस्यों ने सोमवार एक प्रेस वार्ता कर आदिवासी महासभा के द्वारा चलाए जा रहे पत्थलगड़ी पर आपत्ति जाहिर करते हुए इस पर विरोध जताया है। महाल के राष्ट्रीय महासचिव रामचंद्र मुर्मू ने कहा कि आदिवासी महासभा का माझी माहाल से कोई संबंध नहीं। माझी परगना महाल संवैधानिक तरीके से चलता है। कुछ लोग अगर आदिवासी महासभा के बैठक में व्यक्तिगत तौर पर जाते है तो उससे माझी परगना महाल का कोई लेना देना नहीं है। पत्थलगड़ी की कमान संभाले आदिवासी महासभा के नेता सुकुमार सोरेन ना तो माझी परगना महाल के पदाधिकारी है, ना ही माझी और परगना है। माझी पारगना महाल ने ना ही इनके उपर कोई जिम्मेदारी सौंपी है। महाल के नेतृत्व में ना तो कभी पत्थलगड़ी हुआ है, ना ही भविष्य में कभी होगा। प्रेस वार्ता में इंटरनेशनल संथाल काउंसिल के कार्यकारी अध्यक्ष नरेश मुर्मू, सीआर माझी, आदिवासी समन्वय मंच के कुमार चंद्र मार्डी, देश विचार सचिव बहादुर सोरेन, जिला महासचिव सुधीर सोरेन, दुर्गा चरण मुर्मू, समाय सोरेन, मंगल चंद्र टुडू, दिनेश मुर्मू आदि मौजूद रहे।

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    देश परगना के बैठक की हमें नहीं थी सूचना : बहादुर

    माझी परगना महाल के देश विचार सचिव व घाटशिला प्रखंड अध्यक्ष बहादुर सोरेन ने महाल के देश परगना बैजू मुर्मू के कार्यशैली पर सवाल खड़े किए। देश विचार सचिव ने आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले दिनों तीन जून को पावड़ा स्थित माझी महाल भवन में देश परगना बैजू मुर्मू की अध्यक्षता में बैठक हुई थी। बैठक पुलिस के निगरानी में हुई। पहली बार समाज की कोई बैठक पुलिस के निगरानी में हुई है। बहादुर सोरेन ने कहा कि उक्त बैठक की सूचना ना तो उन्हें दी गई थी और ना ही जिला महासचिव सुधीर सोरेन व अन्य लोगों को कोई जानकारी थी। शायद पुलिस को यह सटीक सूचना मिली थी की वहां पत्थलगड़ी के संदर्भ में कोई बैठक हो रही। उक्त बैठक में आदिवासी महासभा व कई तरह के लोग उपस्थित थे। ऐसे कार्यक्रम आने वाले समय में समाज में विवाद उत्पन्न कराएंगे। देश परगना की एक बड़ी जिम्मेदारी होती है, वे युवाओं को प्रशिक्षित करे की वे गलत मार्ग पर ना जाए। देश विचार सचिव के इस बयान का राष्ट्रीय महासचिव रामचंद्र मुर्मू समेत कई सदस्यों ने भी समर्थन किया। इससे यह स्पष्ट प्रतीत होता है की माझी पारगना महाल के सदस्यों के बीच आपसी मतभेद है।