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    जैन धर्मावलंबियों ने की उत्तम शौच धर्म की विशेष पूजा-अर्चना

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 28 Aug 2020 06:16 AM (IST)

    लोभ रूपी मैल को धो आत्मा को निर्मल करना है उत्तम शौच धर्म दीपक जैन जासं नवादा आत्मशुद्धि क

    जैन धर्मावलंबियों ने की उत्तम शौच धर्म की विशेष पूजा-अर्चना

    लोभ रूपी मैल को धो आत्मा को निर्मल करना है उत्तम शौच धर्म: दीपक जैन

    जासं, नवादा : आत्मशुद्धि का परम पावन महापर्व ''पर्यूषण'' के पांचवे दिन गुरुवार को जैन धर्मावलम्बियों ने अपने-अपने घरों में ही पूरे उत्साह के साथ दशलक्षण धर्म के पंचम स्वरूप ''उत्तम शौच धर्म'' की विशेष आराधना की।

    इस अवसर पर जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतम गणधर स्वामी की निर्वाण भूमि नवादा स्थित श्री गोणावां जी दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र पर जिनेंद्र प्रभु का जलाभिषेक किया गया। दीपक जैन के द्वारा जिनेंद्र प्रभु का शांति अभिषेक कर सर्वशान्ति की मंगलकामना की गई। तत्पश्चात पूरे श्रद्धा और भक्तिभाव के साथ दशलक्षण धर्म के पंचम स्वरूप ''उत्तम शौच धर्म'' की विशेष आराधना की गई।

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    ''उत्तम शौच धर्म'' के बारे में चर्चा करते हुए समाजसेवी दीपक जैन ने कहा कि जैन दर्शन में ''उत्तम शौच धर्म'' का अभिप्राय शारीरिक स्वच्छता से नहीं, अपितु आत्मा की निर्मलता से है। उन्होंने कहा कि आज मनुष्य धन-दौलत आदि विषयों के साथ ही भोग-विलास की वस्तुओं के प्रति आवश्यकता से अधिक आसक्त है। मनुष्य की इस प्रवृत्ति को लोभ कहते हैं। लोभी को किसी भी अवस्था में संतुष्टि नहीं मिलती। उसकी आशाओं और अपेक्षाओं का संसार कभी समाप्त नहीं होता। अपनी इसी प्रवृति के कारण लोभी अपनी संतुष्टि के लिए पाप की हर सीमा को पार कर जाता है। यही कारण है कि लोभ को ''पाप का बाप'' कहा गया है। लोभ रूपी मैल से मुक्ति का भाव ला आत्मा को निर्मल करना ही ''उत्तम शौच धर्म'' है। दीपक जैन ने कहा कि लोभ रूपी मैल को जो ''समभाव'' एवं ''संतोष'' रूपी जल से धोता है, वही संतोषी अर्थात शौचधर्मी कहलाता है। ऐसे संतोषी प्राणी परम सुख को प्राप्त करते हैं। इस दौरान उपस्थित साधकों ने लोभ का परित्याग कर संतोषी बनने का संकल्प लिया।

    संध्या में श्रद्धालुओं ने मंगलआरती कर जिनेन्द्र प्रभु के प्रति अपने श्रद्धा भाव प्रकट किए, वहीं णमोकार महामंत्र का जाप कर विश्वशांति एवं प्राणिमात्र के कल्याण की जिनेंद्र प्रभु से प्रार्थना की। लॉकडाउन के नियमों का अनुपालन करते हुए आज के इस पवित्र धार्मिक अनुष्ठान में विमल जैन, विकास जैन, शुभम जैन, लक्ष्मी जैन, श्रुति जैन, श्रेया जैन, नीतू जैन, अनिता जैन, प्रेमलता जैन, रत्नी देवी जैन, खुशबू जैन और ममता जैन आदि श्रद्धालुओं ने भाग किया। शुक्रवार को दशलक्षण धर्म के षष्ठम स्वरूप ''उत्तम संयम धर्म'' की विशेष आराधना किए जाने साथ ही सुगंधदशमी पर्व के आलोक में अशुभ कर्मों की आहूति देंगे।

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