अमन के नाम पर साधु ने सिल ली आंखें
खागा (फतेहपुर) अप्र:
लोग आंखें खोलकर समाज में शांति के बीज तलाशते हैं लेकिन खागा के संत कहे जाने वाले राम किशोर शुक्ल ने तो देश की सुख-शांति के नाम पर अपनी आंखें ही सिल ली। वह भी ऐलानियां तौर पर-' 21 लाख दीप दान करने के बाद ही अपनी आंखें खोलेंगे।' उनके इस 'हठयोग' की चर्चा पूरे क्षेत्र में फैल गयी है। कुछ लोग उन्हें महान हठयोगी बताकर जय जयकार करने में जुट गये हैं जबकि कई लोग उनके इस तरीके को अमानवीय ठहरा रहे हैं।
भ्रष्टाचार समेत ज्वलंत मुद्दों पर खागा के साधु रामकिशोर शुक्ल ने अन्ना की तर्ज पर समाज के लिये जीने-मरने का अनोखे अंदाज में संकल्प लिया है। उन्होंने भीड़ के सामने अपनी दोनों आंखें धागे से सिल कर मंगलवार से देश में अमन शांति के लिये बुदवन मंदिर में शनि शांति महायज्ञ शुरू कर दिया है। राष्ट्र की उन्नति के लिये 21 लाख दीपदान करने का संकल्प लिया है। फिलहाल डेढ़ लाख दीपदान हो चुका है। दीपदान के उपरांत ही वह अपनी आंख खोलेंगे।
खागा क्षेत्र के बुदवन स्थित शनि मंदिर के संत पं. रामकिशोर शुक्ला का कहना है कि अपने लिये तो सभी जीते हैं पर दूसरों के लिये जीना ही हमारी संस्कृति का सार है। देश में भ्रष्टाचार, भ्रूण हत्या, पर्यावरण व नैतिकता के पतन से आहत होकर उन्होंने अपने गांव बुदवन में यह कदम उठाया है। बकौल शुक्ल- 'देश की शांति के लिए अन्ना से प्रेरणा लेकर वह शनि शांति महायज्ञ कर रहे हैं। 21 लाख दीपदान करने के बाद ही वह अपनी सिली आंखों को खोलेंगे।'
साधु रामकिशोर को आंखें सिलने की बात कहां से सूझी, इस पर वह अपने संकल्प की दुहाई्र देते हैं। वह इसे अपराध नहीं मानते। उनका कहना है कि वे अपने लिए कुछ नहीं कर रहे हैं बल्कि सब कुछ समाज के लिए कर रहे हैं।
उनके इस कदम के तरफदार भी बड़ी संख्या में सामने आ गये हैं। हद तो यह कि जब मंगलवार को सूई धागे से वह अपनी आंखें सिल रहे थे तो वहां मौजूद लोगों में से किसी ने भी रोकने की कोशिश नहीं की। अब कुछ लोग उन्हें देवता बताने पर तुले हैं। उनकी जय जयकार हो रही है।
उनके समर्थक रमाकांत गुप्त एडवोकेट उनके इस काम को जायज ठहराते हुए कहते हैं समाज हित में संत का कार्य अविस्मरणीय है। मनोज सिंह कहते हैं कि जिस मंदिर में वह अनुष्ठान कर रहे हैं उसके जीर्णोद्धार के लिए आर्थिक मदद भी की जायेगी।
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इस प्रकरण को मैं देखूंगा : एसपी
फतेहपुर: इस संबंध में पूछे जाने पर पुलिस अधीक्षक अमित पाठक ने ऐसी किसी सूचना से अनभिज्ञता प्रकट की। उन्होंने कहा कि मेरे संज्ञान में यह मामला नहीं था। अब मैं इसे देखूंगा कि साधु ने आंखें क्यों सिली तथा इसमें क्या किया जा सकता है।
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