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    Gupt Navratri 2025: गुप्त नवरात्र 26 जून से, 10 महाविद्याओं की होगी साधना

    देवी भागवत पुराण के अनुसार, वर्ष में चार नवरात्र होते हैं, जिनमें आषाढ़ और माघ माह के गुप्त नवरात्र शामिल हैं। 26 जून से 5 जुलाई तक चलने वाले आषाढ़ गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना का विशेष महत्व है, जबकि सामान्य नवरात्र में देवी के नौ रूपों की पूजा होती है।  

    By Gaurish Chandra MishraEdited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 25 Jun 2025 04:58 PM (IST)
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    संवाद सूत्र, करजाईन बाजार (सुपौल)। देवी भागवत पुराण के अनुसार, वर्ष में चार नवरात्र होते हैं। जिसमें दो गुप्त और दो सामान्य नवरात्र होते हैं। आषाढ़ और माघ माह में होने वाले नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। आषाढ़ गुप्त नवरात्र का प्रारंभ 26 जून से है, जिसका समापन 5 जुलाई को व्रत पारण के साथ होगा।

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    आषाढ़ गुप्त नवरात्र का महात्म्य बताते हुए आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि जिस प्रकार शारदीय एवं चैती नवरात्र में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है।

    गुप्त नवरात्र के दौरान नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के साथ-साथ 10 महाविद्याओं की भी पूजा का विशेष महत्व है। ये 10 महाविद्या मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी हैं।

    गुप्त नवरात्र विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।

    इस नवरात्र में साधक अपनी समस्त इंद्रीयों को संयमित कर सहस्त्रवार चक्र को एवं कुंडलिनी शक्ति को जागृत कर अनेक मंत्र एवं तंत्र की सिद्धि प्राप्त करते हैं।

    इस नवरात्र की साधना भी अन्य नवरात्र की तरह ही होती है, लेकिन जितनी धूमधाम शारदीय एवं चैती नवरात्र होते हैं उतनी प्रखरता गुप्त नवरात्र की नहीं है, लेकिन शारदीय नवरात्र एवं वासंतिक यानि चैती नवरात्र की तरह आषाढ मास के गुप्त नवरात्र को भी विधि विधानपूर्वक करने से साधक, उपासकों को समस्त मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।