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    पटना के आइजीआइएमएस में 22 से शुरू होगा अलग आल कैंसर विभाग, बच्चों को मिलेगा लाभ

    शून्य से 18 वर्ष तक बाल कैंसर रोगियों को एक छत के नीचे सभी अत्याधुनिक उपचार सुविधाएं मिल सकें इसके लिए आइजीआइएमएस में अलग पीडियाट्रिक ओंकोलाजी विभाग की शुरुआत 22 जून को हो जाएगी। मेडिसिन ब्लाक में रोबो स्पाइनल वीआर जैसे अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित फिजियोथेरेपी विभाग में भी इलाज शुरू हो जाएगा।

    By Pawan Mishra Edited By: Akshay Pandey Updated: Fri, 13 Jun 2025 04:06 PM (IST)
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    आइजीआइएमएस में अलग कैंसर विभाग होगा। सांकेतिक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, पटना। प्रदूषण, कीटनाशकों के बढ़ते इस्तेमाल, संक्रमण व आनुवंशिक कारणों से प्रदेश में बच्चों में भी कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। शून्य से 18 वर्ष तक बाल कैंसर रोगियों को एक छत के नीचे सभी अत्याधुनिक उपचार सुविधाएं मिल सकें, इसके लिए आइजीआइएमएस में अलग पीडियाट्रिक ओंकोलाजी विभाग की शुरुआत 22 जून को हो जाएगी।

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    इसके अलावा मेडिसिन ब्लाक में रोबो स्पाइनल, वीआर जैसे अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित फिजियोथेरेपी विभाग में भी इलाज शुरू हो जाएगा। चिकित्साधीक्षक डा. मनीष मंडल ने बताया कि 21 व 22 तारीख को इन नई सुविधाओं का उद्घाटन प्रस्तावित है। इसके अलावा 500 बेड के नए मेडिसिन ब्लाक में हरियाली व मरीजों को छाया देने के लिए सघन पौधारोपण भी किया जाएगा। गैस्ट्रो साइंसेज, कार्डियोथोरेसिक, यूरोलाजी, नेफ्रोलाजी आदि विभागों में जाने के लिए नई लिफ्ट सुविधा भी शुरू हो जाएगी। 

    अभी बच्चों को लेकर बड़े शहर भागते थे स्वजन 

    2019-20 की राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (एनसीआरपी) के अनुसार प्रदेश में 0 से 14 वर्ष के 2,206 कैंसर पीड़ित बच्चे किसी न किसी अस्पताल में उपचार करा रहे थे। इनमें से 1,030 ल्यूकेमिया, 1,365 लिंफोमा व 441 केंद्रीय तंत्रिका तंत्र ट्यूमर के मामले थे। पटना एम्स में 2019 से 2021 के बीच 306 बच्चों पर किए अध्ययन में सर्वाधिक 208 यानी 73.24 प्रतिशत में ठोस ट्यूमर व 76 यानी 26.76 प्रतिशत में रक्त कैंसर था।

    रक्त कैंसर में सबसे सामान्य प्रकार एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया 32.89 प्रतिशत बच्चों को था। आइजीआइएमएस में इसी बीच 0 से 14 वर्ष के बच्चों में 1,978 कैंसर मामले मिले। इनमें 1,058 यानी 78.31 प्रतिशत की उम्र 5 से 19 वर्ष की थी।

    लड़कों में कैंसर के मामले अधिक थे। प्रदेश में बच्चों को रक्त कैंसर ल्यूकेमिया, ब्रेन ट्यूमर यानी मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर, लिंफोमा लिम्फ नोड्स, न्यूरो ब्लास्टोमा, किडनी व रेटिनाब्लास्टोमा कैंसर ज्यादा सामान्य है। अब तक बच्चों के कैंसर के उपचार के लिए लोग एम्स दिल्ली, टाटा मेमोरियल हास्पिटल, पीजीआइ चंडीगढ़, सीएमसी वेल्लौर, आइसीएमआर कैंसर केंद्र हैदराबाद जाते थे। 

    पीडियाट्रिक ओंकोलाजी में होंगी निम्न सुविधाएं 

    स्टेट कैंसर संस्थान के चीफ डा. राजेश कुमार सिंह ने बताया कि पीडियाट्रिक ओंकोलाजी विभाग में रक्त जांच, बोन मैरो टेस्ट, बायोप्सी, सीटी-एमआरआइ जैसी जांच के अलावा कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, सर्जरी, इम्यूनोथेरेपी से लेकर बोन मैरो ट्रांसप्लांट तक की सुविधाएं होंगी। इसके अलावा दर्द प्रबंधन, पोषण संबंधी परामर्श, मनोवैज्ञानिक परामर्श, अभिभावको की काउंसलिंग भी की जाएगी। इसके लिए मल्टी डिसिप्लिनरी जैसे बाल रोग विशेषज्ञ, रेडियोलाजिस्ट, सर्जन व मनोवैज्ञानिक रहेंगे। बच्चों के अनुकूल माहौल बनाने के लिए कीमोथेरेपी व देखभाल के लिए अलग वार्ड है।