केजीबीवी में अल्पसंख्यकों पर फोकस
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अमरोहा। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) के दाखिलों की मानीटरिंग शासन स्तर से की जा रही है। शासन के एजेंडे में इसके प्रति गंभीरता की वजह इन स्कूलों में अल्पसंख्यक छात्राओं की भागेदारी बढ़ाना है।
प्रदेश के 24 जिलों में चल रहे 244 कस्तूरबा स्कूलों में अल्पसंख्यक वर्ग री बालिकाओं के प्रवेश की मानीटरिंग खुद शासन कर रहा है। बताते हैं कि अल्पसंख्यकों में भी मुस्लिम बहुलता वाले जिलों में शुमार बदायूं, बागपत, बहराइच, बलरामपुर, बाराबंकी, बरेली, बिजनौर, गाजियाबाद, अमरोहा, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, सिद्धार्थनगर, बुलंदशहर, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, श्रावस्ती, हापुड़, सम्भल और शामली के केजीबीवी पर उच्चाधिकारियों की विशेष निगाह है। इन जिलों में कुल 244 कस्तूरबा गांधी स्कूल हैं, जिनमें 12.61 फीसद बालिकाएं अल्पसंख्यक वर्ग की हैं। इस वर्ग की बालिकाओं पर अब खास फोकस कर रहा है। इसके लिए अपर राज्य परियोजना निदेशक डा.मीना शर्मा ने बीईओ, चार अल्पसंख्यक वर्ग के प्रधान / सभासद, वार्डेन, एबीआरसी, अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थाओं के दो प्रतिनिधि और एनजीओ के दो प्रतिनिधि की कमेटी बना दी है। कमेटी को ब्लाक में अल्पसंख्यक समुदाय की जनसंख्या प्रतिशत के हिसाब से कस्तूरबा गांधी स्कलों में बालिकाओं का प्रवेश कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। दस जुलाई तक शासन ने इस बाबत रिपोर्ट भी मांगी है।
इस नई पहल को नौकरशाही के बीच भले ही अल्पसंख्यक वर्ग की बालिकाओं को शिक्षा में प्रोत्साहन की कोशिश बताया जा रहा है लेकिन इसके सियासी निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं। प्रदेश में सत्तासीन सपा हो या केंद्र शासित कांग्रेस, दोनों ही चुनाव की नजदीकी के कारण अल्पसंख्यक प्रेम के ज्यादा से ज्यादा प्रदर्शन और उनके बीच बताने के लिए मुस्लिम तरक्की से जुड़े बड़े आंकड़े जुटाने में लगी हैं।
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मंडल में जिलेवार अल्पसंख्यक बालिकाओं के केजीबीवी में नामांकन की स्थिति
बिजनौर----------5.44
अमरोहा----------14.39
मुरादाबाद---------21.0
रामपुर-----------26.85
सम्भल----------13.8
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