शहीद की श्रद्धांजलि में उभरा दर्द, आंखों से छलके आंसू
तिर्वा, संवाद सहयोगी : धनतेरस की पूर्व संध्या शहीद के परिजनों के लिए सबसे अधिक दर्द भरी संध्या रही।
तिर्वा, संवाद सहयोगी : धनतेरस की पूर्व संध्या शहीद के परिजनों के लिए सबसे अधिक दर्द भरी संध्या रही। बीते वर्ष दीपावली को शहीद उपेंद्र ने अपने परिजनों के साथ मनायी थी। इस बार सिर्फ उसकी यादें ही रह गई। शहीद की यादों में परिजनों व ग्रामीणों का दर्द उभर आया और आंखों से आंसू छलक पड़े। प्रतिमा पर दीप जलाकर नम आंखों से श्रद्धांजलि दी गई।
कोतवाली क्षेत्र का हंसापुर गांव का नाम शहीद उपेंद्र यादव ने ऊंचाई पर कर दिया। पिता रणवीर ¨सह, मां सगुना देवी, भाई शैलेंद्र के साथ में कई ग्रामीणों ने एकजुट होकर शहीद की यादों में प्रतिमा पर दिया जलाए। उसकी याद में लोगों के आंसू छलक पड़े। रणवीर ने बताया कि बीते वर्ष दीपावली को उपेंद्र ने परिवार के साथ मनाया था। धनतेरस के पूर्व संध्या पर उपेंद्र छुट्टी लेकर घर आया था। 24 जनवरी 2016 को तैनाती के दौरान बैंगलुरू में शहीद हो गया था। रणवीर ने बताया कि देश की सेवा के लिए दूसरा पुत्र शैलेंद्र भी तैयारियां करने लगा। भारत माता के लिए शहीद होना गर्व की बात है।
एतिहासिक स्मारक हो तैयार
शहीद उपेंद्र की मां सगुना देवी ने बताया कि देश की सेवा में शहीद होने वालों का नाम उनके पैतृक गांव में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाए। उपेंद्र ने देश के लिए कुर्बानी दी है और उसका नाम अमर करने के लिए गांव में स्मारक बनवाया जाए। उसके नाम से गांव का रास्ता बने और मुख्य द्वार भी तैयार कराया जाए। सगुना देवी ने बताया कि प्रशासन शहीद के नाम को भूलता जा रहा। उनके नाम से अभी तक कोई भी कार्य नहीं कराया गया है।
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