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    जागरण लाइव: ..रोज थाने आ रहा हूं, नहीं सुनता कोई

    सुरेंद्र चौहान, पलवल भाई साहब मैंने बामनीखेड़ा के पास छोटी सी दुकान खोली हुई थी। अप्रैल माह में

    By Edited By: Updated: Mon, 24 Oct 2016 06:51 PM (IST)

    सुरेंद्र चौहान, पलवल

    भाई साहब मैंने बामनीखेड़ा के पास छोटी सी दुकान खोली हुई थी। अप्रैल माह में कुछ लोगों ने मेरे साथ मारपीट की तथा मेरी दुकान को आग लगा दी थी। मैंने पुलिस में कई बार शिकायत दी, परंतु कोई सुनवाई नहीं हुई। यहां तक कि कोई पुलिस वाला मौका मुआयना भी करने नहीं गया। मैंने इधर-उधर से पैसा लेकर दोबारा दुकान शुरू की थी, परंतु सितंबर में उक्त आरोपियों ने दोबारा मेरी दुकान पर हमला किया और पैसे लूट लिए। अपनी जान बचाने के लिए मुझे और मेरे पुत्र को वहां से भागना पड़ा। पुलिस के अलावा सीएम ¨वडो में भी शिकायत की, परंतु कोई फायदा नहीं हुआ। रोज थाने के चक्कर लगा रहा हूं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। यह पीड़ा थी शेखपुरा मोहल्ला निवासी निजाम की।

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    ऐसी कई शिकायतों को लेकर कुछ और पीड़ित महिला थाना, सदर थाना और कैंप थाना परिसर में घूम रहे थे, परंतु थानों के प्रभारी एक नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुरुग्राम में रैली की तैयारियों को लेकर होने वाली रिहर्सल के लिए गए हुए थे। स्टाफ की कमी के चलते विभिन्न थानों में गिना चुना स्टाफ ही नजर आया।

    दृश्य एक- महिला थाना समय: 12.06 बजे

    महिला थाने के बाहर और अंदर परिसर में छेड़छाड़, घरेलू ¨हसा जैसी शिकायतों को लेकर लोगों की भीड़ लगी थी। थाने के अंदर शिकायत कमरे के अंदर दोनों कुर्सियां खाली पड़ी थी और कुछ लोग अपनी शिकायत लेकर बैठे हुए थे। कुछ लोग कभी अंदर झांकते तो कभी इधर-उधर के कमरों पर नजर दौड़ा रहे थे। अंदर बैठे लोगों ने बताया कि वे पिछले करीब एक घंटे से भी ज्यादा समय से इंतजार कर रहे हैं।

    दृश्य दो- सदर थाना समय: 12.25 बजे

    थाना परिसर में ही जगह-जगह कुछ लोग बैठे हुए थे। गेट पर ही ¨पगोड गांव के कुछ लोग बैठे हुए थे, जिन्हें चोट भी लगी थी। पीड़ित लोगों ने बताया कि कुछ लोगों ने करीब पांच-छह दिन पूर्व उनके घर में सोते हुए लोगों पर हमला कर घायल कर दिया था। डॉक्टरी रिपोर्ट भी है, परंतु पुलिस ने मुकदमा तक दर्ज नहीं किया। यहां तक कि एक बार आरोपियों को पकड़कर भी ले आई थी, परंतु रास्ते में ही छोड़ दिया। अंदर कुर्सी पर मुंशी बैठा हुआ था और अपनी फाइलों में मशगूल था।

    दृश्य तीन- कैंप थाना समय: 1 बजे

    कैंप थाने के अंदर दो पुलिसकर्मी तो बैठे हैं, परंतु थाना प्रभारी की कुर्सी खाली है। शिकायतकर्ता थाना के बाहर ही इधर-उधर टहल रहे थे। ज्यादातर शिकायत थाना प्रभारी के न होने पर वापस ही लौट रहे थे। हालत यहां भी कुछ ठीक नहीं नजर आ रहे थे। कई शिकायकर्ता यही कह रहे थे उनकी शिकायतों पर जांच के लिए पुलिस के पास समय ही नहीं है। स्टाफ की कमी का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ लेते हैं।

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    मुझे व मेरी मां को करीब पांच-छह दिन पहले सोते हुए कुछ लोगों ने हमला कर घायल कर दिया था, तभी से थाने का चक्कर काट रहे हैं, परंतु पुलिस सुनवाई नहीं कर रही है।

    -हरीचंद, निवासी गांव ¨पगोड।

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    हम पर कुछ लोगों ने हमला कर घायल कर दिया था। अभी तक पुलिस ने उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज नहीं किया। यहां तक कि आरोपियों को पकड़कर लाती है और बीच में ही छोड़ देते हैं।

    -कमलेश, निवासी गांव ¨पगोड़।

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    अप्रैल माह में मुझसे मारपीट कर कुछ लोगों ने मेरी दुकान को जला दिया था। उसके बाद पांच अगस्त को दोबारा मारपीट कर लूटपाट की गई, परंतु पुलिस ने अभी तक मौका मुआयना भी नहीं किया।

    - निजाम, निवासी शेखपुरा।

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    गुरुग्राम में प्रधानमंत्री की रैली में सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियों को लेकर आज बैठक थी। इसी सिलसिले में जिला पुलिस अधीक्षक और कई थाना प्रभारियों के साथ-साथ काफी स्टाफ की भी ड्यूटी लगी है, इसी कारण लोगों को थोड़ी दिक्कत हुई है। हालांकि सभी थानों में स्टाफ तैनात है और अपनी ड्यूटी कर रहा है। कहीं कोई परेशानी है तो वह मेरे कार्यालय में शिकायत कर सकते हैं।

    - मनीष सहगल, डीएसपी मुख्यालय।