देवरिया क्लब पर कब्जे की बिछी बिसात
देवरिया : दो गुटों के बीच अर्से से जोर आजमाइश का केंद्र बने देवरिया क्लब पर कब्जा करने की नई बिसात
देवरिया : दो गुटों के बीच अर्से से जोर आजमाइश का केंद्र बने देवरिया क्लब पर कब्जा करने की नई बिसात बिछ गई है। शनिवार को देरशाम जिला प्रशासन ने देवरिया क्लब की दीवार पर वह नई मतदाता सूची चस्पा कर दी, जिसमें आधे नाम नए हैं। नए नाम में अधिकारियों की ही तादाद अधिक है। प्रशासनिक अमले की अचानक दखल व पर्दे के पीछे एक गुट की पीठ पर उसके द्वारा हाथ रखे जाने से अधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरे में खड़ी हो गई है, क्योंकि उनकी गणेश परिक्रमा करने वाले ही इस खेल के असल खिलाड़ी कहे जा रहे हैं। अब यह देखना रोचक होगा कि देवरिया क्लब की नई कार्यकारिणी के चुनाव परिणाम का उंट किस करवट बैठता है।
अंग्रेजी हुकूमत के वक्त गठित देवरिया क्लब की पदेन अध्यक्ष यूं तो जिलाधिकारी हैं, लेकिन क्लब के कामकाज में अब तक स्थानीय लोगों की भूमिका ही महत्वपूर्ण रही। क्लब की निगरानी सचिव करता है। इस पद पर आसानी न्यू कालोनी निवासी केपी त्रिपाठी को पदच्युत करते हुए जिलाधिकारी ने वर्तमान कमेटी को भंग कर दिया। तब क्लब के सिर्फ 77 सदस्य थे। कमेटी में अधिकारियों की संख्या कम होने की दलील देकर जिलाधिकारी ने नई कमेटी के गठन का आदेश दिया। हालांकि चुनाव की एक तिथि पहले भी टाली जा चुकी है। इस बीच अचानक जिलाधिकारी ने नई चुनाव तिथि सात अगस्त को निर्धारित कर दिया। अब सबकी नजर क्लब के सदस्यों की सूची पर आकर ठहर गई। शनिवार को देर शाम वह सूची आम करते हुए प्रशासन ने चार पेज की नई सदस्य सूची जारी की। इस बावत उपजिलाधिकारी सचिन कुमार ¨सह ने कहा कि क्लब के पुराने सदस्यों की संख्या 77 थी। 14 ऐसे नाम नई सूची में शामिल हैं, जो पूर्व में शुल्क न जमा कर पाने के कारण अपनी सदस्यता गंवा बैठे थे। इसके अलावा 54 नए नाम और शामिल हैं। इनमें सभी सरकार के अधिकारी व कर्मचारी हैं। सूत्रों के दावों पर यकीन करें तो नई सूची में प्रशासनिक अफसरों का एक मुश्त नाम होने के खेल में ऐसे लोग शामिल हैं, जो येनकेन प्रकारेण देवरिया क्लब पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। इन लोगों ने ही अधिकारियों के कान भरे। इसके बाद ही पुरानी कमेटी को भंग करने का फैसला आनन-फानन में हुआ।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।