पिकन नट अखरोट बनेगा कमाई का साधन !
संवाद सहयोगी, बसोहली : पिछड़े क्षेत्र के गांवों के किसानों को अपने पैरों पर खड़े करने के लिए बागवानी
संवाद सहयोगी, बसोहली : पिछड़े क्षेत्र के गांवों के किसानों को अपने पैरों पर खड़े करने के लिए बागवानी विभाग ने पिकन नट (एक अखरोट की अच्छी नस्ल), जो कदम ट्रायल के लिए उठाए उनका सफल परिणाम आने लगा है। बागवानी विभाग के सब डिविजनल कार्यालय द्वारा धार महानपुर गांव में ट्रायल के लिए 100 पौधों को लगाया गया। जिन में 73 पौधे फल देने को तैयार हैं। उन पर फूल आ गए हैं।
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क्या है पिकन नट अखरोट
कागज की तरह छिलका, अखरोट से अच्छा स्वाद और आकार में लंबूतरा कागज का छिलका होने के कारण तोड़ने के लिए किसी औजार की जरूरत नहीं होती। जिस कारण इसको लोग पसंद करते हें। इसका पेड़ चार से पांच साल में फल देने लगता है और इसकी ऊँचाई 20 से 30 फुट तक होती है।
दरअसल पिकन नट अखरोट के पौधों को बसंत माह में लगाया जाता है। रोपाई के दौरान दोमट मिट्टी को लेकर गड्ढा बनाया जाता है और रूपाई के 600 घंटे तक सामान्य तापमान 10 से 15 डिग्री होना चाहिए। एक पेड़ का दूसरे पेड़ का फासला कम से कम 60 से 70 फीट की दूरी पर होना चाहिए। खेतों के किनारों पर यह पेड़ लग सकता है। इस पेड़ को ग्रुप में नहीं लगाया जा सकता है।
पहाड़ी क्षेत्र है सबसे अनुकूल
बसंत माह में धार महानपुर, सनन्घाट, गोडल नगाली, पलारा, सियालग, सैलो भीकड़, शीतलनगर पंचायत के कुछ गांव के आसपास का तापमान पिकन नट अखरोट की जरूरत के हिसाब का रहता है। जिस कारण इस क्षेत्र में यह पेड़ कामयाब हो सकता है।
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कमाई का साधन बन सकता है पिकन नट अखरोट
क्षेत्र के किसान जो केवल कृषि पर ही आधारित रहकर अपनी जीविका चलाते हैं उनके लिए यह नट कमाई का एक आसान जरिया बन सकता है। इसे बेचने के लिए कोई ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पडे़गी। जिसका मुख्य कारण है छिलने में आसान, खाने में स्वादिष्ट और 150 से 200 रुपये तक किलो बिकने वाला यह अखरोट।
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क्या कहते हैं अधिकारी
बागवानी विभाग के सब डिविजनल अधिकारी पवन ठाकुर का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्र समुद्र तल से 3500 फीट से ऊपर यहां न ज्यादा गर्मी होती है और न ही ज्यादा सर्दी में पिकन नट अखरोट के 100 पौधों को किसानों में ट्रायल के लिए लगवाया गया। पांच साल बाद इस पर फूल आने लगे हैं। यहां सामान्य अखरोट 9 साल में फल देता है यह पांच साल में फल देने लगता है। किसानों को इन पौधों को लगाने के लिए विभाग से मदद लेनी चाहिए।
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