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    काम से ही पूरा होगा मेक इन इंडिया आंदोलन

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    Updated: Fri, 22 May 2015 10:10 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, जालंधर : मेक इन इंडिया के जरिए उत्पादकों को डिमांड, बेहतर सुविधाओं, कुशलता एवं प

    जागरण संवाददाता, जालंधर : मेक इन इंडिया के जरिए उत्पादकों को डिमांड, बेहतर सुविधाओं, कुशलता एवं प्रतिस्र्धा को समझना होगा। डेमोक्रेसी, डेमोग्राफिक कंडिशनंस एवं डिमांड के कंसेप्ट पर मेक इन इंडिया का निर्माण हुआ है। इसके माध्यम से भारत विदेशी कंपनियों को यहां निवेश करने, नई कंपनियों शुरू करने एवं बेहतर संसाधनो का उपचार करने के लिए निमंत्रण देगा।

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    उक्त विचार सीटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन शाहपुर कैंपस में सीटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनिय¨रग, मैनेजमेंट एवं टेक्नोलॉजी (सीटीआइईएमटी), इंडियन स्पेस रिसर्च ओरगनाइ•ोशन (इसरो), पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी (पीटीयू), ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टैक्निकल एजुकेशन (एआइसीटीई) और डीएसटी के सौजन्य से करवाई जा रही दो दिवसीय साइंस, इंजीनिय¨रग एवं टेक्निकल नवाचार के निर्माण पर आधारित इंटरनेशनल मल्टी ट्रैक कांफ्रेंस-15 के दौरान विश्वभर से आए शोधकर्ताओं की चर्चा के बाद निकल कर सामने आए। मौके पर यूएस अमेरिका, फिनलैंड, श्रीलंका, सुडान, •ांबिया, ईरान से शोधकर्ता एवं 600 से अधिक प्रतिनिधियों ने कांफ्रेंस में भाग लिया। जबकि 257 रिसर्च पेपर कांफ्रेंस में प्रस्तुत किए गए। इस दौरान नवाचार के माहिर डॉ. विटनबर्ग ने कहा कि अगर भारत चाहे तो बहुत आसानी से मेक इन इंडिया के माध्यम से अपने देश को बहुत ऊंचे मुकाम पर स्थापित कर सकता है। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया आंदोलन को सिर्फ बातों के दम पर नहीं बल्कि काम कर पूरा किया जा सकता है। इस मौके पर उन्होंने विद्यार्थियों को इंडस्ट्री संबंधी ट्रेनिंग देने के मुद्दे पर वर्कशॉप दी।

    शोधकर्ताओं को एक मंच प्रदान करना उद्देश्य : डॉ. मनोज

    सीटी इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि कांफ्रेंस का उद्देश्य विश्व के अलग-अलग स्थानों से संबंधित उद्योग, विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिक और योजनाकार से जुड़े शोधकर्ताओं को एक मंच पर एकत्रित करके उनके शोध का प्रस्तुतिकरण करवाना है।

    मेक इन इंडिया को लेकर उभरे कई विचार

    कांफ्रेंस में श्रीलंका की जयवर्धनपूर यूनिर्वसिटी के मैनेजमेंट एवं कॉमर्स के फैकल्टी सदस्य रुकमल वीरसांघे ने डवेल्पिंग यूनिर्वसिटी में नवाचार के निर्माण मुद्दे पर अपने विचार पेश कर बदलते दौर में बदलते शिक्षा के स्तर पर और विश्वविद्यालयों में मुहैया की जाने वाली शिक्षा के स्तर पर प्रकाश डाला। वहीं यूएसए की फाउंडर यूनिर्वसिटी से डॉ. डेविड विटनबर्ग ने मेक इन इंडिया में नवाचार के मुद्दे पर अपने विचार पेश किए।

    जीडीपीए को 12 से 25 फीसद लाने की हुई बात

    कांफ्रेंस के दौरान विशेष अंक के तौर पर मेक इन इंडिया मुद्दे पर पैनल डिस्कशन के दौरान पैनललिस्ट लाहटी विश्वविद्यालय एप्लाइड साइंसेज, फिनलैंड से डा. जुहानी निएमेनन, श्रीलंका की जयवर्धनपूर यूनिर्वसिटी के मैनेजमेंट एवं कॉमर्स के फैकल्टी सदस्य रुकमल वीरसांघे, गुरु नानक इंस्टीट्यूशन इब्राहिमपत्नम से डॉ. एच. एस सैनी, आइईसी किरलोसकर जेनसेट्स के डायरेक्टर सुधीर गेरा एवं डीएवी यूनिर्वसिटी जालंधर से डॉ. संदीप विज ने भाग लेकर कहा कि सरकार 2022 तक भारत की वर्तमान 12 प्रतिशित जीडीपी को 25 प्रतिशित तक बढ़ाने के लिए काम कर रही है। जिसके माध्यम से 100 मिलियन नौकरियों निर्माण होगा। मौके पर सीटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूटशन के चेयरमैन चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि इस सभा में शामिल विद्वानों द्वारा प्रकट किए गए विचारों एवं अनुभावों से कई लोगों को सही दिशा प्राप्त होगी जो उन्हे नए मुकाम तक ले जाएगी।

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