चाहकर भी नहीं भूल पा रहे बर्बादी के उस मंजर को
अमित ओहरी, फगवाड़ा: नेपाल में आए भूकंप का खौफ अब तक फगवाड़ा के लोगों के चेहरों पर साफ झलक रहा था। 20
अमित ओहरी, फगवाड़ा: नेपाल में आए भूकंप का खौफ अब तक फगवाड़ा के लोगों के चेहरों पर साफ झलक रहा था। 20 अप्रैल को फगवाड़ा के मोहल्ला ठठियारा के लोग नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शनों को गए थे। फगवाड़ा वासियों ने 25 अप्रैल को नेपाल में आए भूकंप के मंजर को अपनी आंखों से देखा। दूसरी तरफ रेलवे स्टेशन पर अपने परिजनों को सही सलामत देखकर परिवारिक सदस्य पूरी तरह से खुश थे, हालांकि कुछेक की आंखों से आंसू भी झलक रहे थे। नेपाल से लौटे अमर सिंह ने बताया कि नेपाल में जिस दिन भूकंप आया, वह लोग पशुपतिनाथ मंदिर में माथा टेकने गए हुए थे। इस दौरान भूकंप के मंजर को देखकर वह हैरान रह गए और उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। उन्होंने बताया कि नेपाल सरकार की तरफ से यात्रियों को वापिस भेजने के लिए प्लेन का इंतजाम तो किया गया था, लेकिन उसमें केवल 175 व्यक्ति ही सफर कर सकते थे। वापस जाने के लिए लोगों की लंबी लंबी लाइनें लगी हुई थी। हर कोई अपनी जिंदगी को बचाने के चक्कर में था। अमर सिंह ने बताया कि अपनी बारी न आती देख उन्होंने जिस बस में नेपाल आए थे, उसी बस में बैठकर वापस गोरखपुर जाने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि नेपाल में आए भूकंप को उन्होंने बेहद करीब से देखा। वहीं विनोद बाला ने बताया कि नेपाल में आए भूकंप को देखकर वह पूरी तरह से घबरा गई थी। हर तरफ भगदड़ सी मची हुई थी, अपनी जान को बचाने के लिए लोग इधर-उधर भाग रहे थे। बाला ने शुक्र है भगवान का कि फगवाड़ा से पशुपतिनाथ मंदिर में माथा टेकने गए सभी यात्री सुरक्षित है। नेपाल से लौटकर सभी यात्रियों के फगवाड़ा रेलवे स्टेशन पर पहुंचने पर उनके परिजनों ने राहत की सांस ली। फगवाड़ा से नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर में माथा टेकने जाने वालों में बसंत कुमार, चंद्र प्रभा, कांता तिवारी, अमर सिंह, विनोद बाला, कांता देवी, कृष्णा रानी, राज रानी, संतोष, राज कुमार शामिल थे।
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