शिवम् अवस्थी, नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। सचिन तेंदुलकर ने कहा था कि जब वो अपने 40वें जन्मदिन का केक काटने जा रहे थे तब वो काफी अजीब महसूस कर रहे थे, आखिर 40 के आंकड़े में कदम जो रख रहे थे। इसी बीच कुंबले ने उनसे बस इतना कहा कि '40 बस एक आंकड़ा है, तुम अब भी जवान हो' और सचिन के चेहरे पर मुस्कान आ गई। खेल का उम्र से कोई नाता नहीं इसकी एक झलक 24 साल तक खेलने वाले सचिन तेंदुलकर ने दी, टेनिस में 44 वर्षीय लिएंडर पेस आज भी मिसाल पेश कर रहे हैं और अब विंबलडन की हरी घास पर महानतम 35 वर्षीय रोजर फेडरर ने 19वां ग्रैंड स्लैम जीतकर सबका मुंह बंद कर दिया। इस लाजवाब खिलाड़ी का यह जवाब उन सभी आलोचकों के लिए है जो कुछ साल पहले तक उनके करियर को खत्म मान चुके थे।

- जब पूछे जाने लगे सवाल 

2013/14 के टेनिस सत्र में जब 32 वर्षीय फेडरर के करियर में थोड़ी सी ढलान दिखी तो दुनिया भर में मीडिया उनके करियर को अलविदा कहने लगी थी। बीबीसी के एक कार्यक्रम में फेडरर से एक आलोचना भरा सवाल पूछा गया। ये सवाल सीधे उनके संन्यास की तरफ इशारा था कि क्या ये उनके करियर का अंतिम मोड़ है? उससे ठीक एक साल पहले फेडरर विश्व नंबर.1 खिलाड़ी थे लेकिन अचानक लोग उनके करियर का खत्म मानने लगे थे। सफर उतार-चढ़ाव भरा जरूर था लेकिन 2017 की शुरुआत में ऑस्ट्रेलियन ओपन के जरिए 18वां ग्रैंड स्लैम जीतकर इस खिलाड़ी ने अपने आलोचकों को जवाब दे दिया था कि अब भी उनमें बहुत दम बाकी है और रविवार को वो ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी भी बन गए। विंबलडन 2017 के फाइनल में फेडरर ने रविवार को क्रोएशिया के 28 वर्षीय मारिन सिलिच को 6-3, 6-1, 6-4 से हराकर खिताब जीता। 

- कैश को भी करारा जवाब 

जनवरी में ऑस्ट्रेलियन ओपन का खिताब जीतने के बावजूद कुछ लोग इस उम्र में उनकी सफलता पचा नहीं पा रहे थे। 1987 के विंबलडन खिताब विजेता व ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी पैट कैश ने एक बड़ा सवाल उठा दिया। मेलबर्न में राफेल नडाल के खिलाफ उस फाइनल मैच में फेडरर ने मेडिकल टाइम आउट लिया था। उनके पैर में खिंचाव था और वो मैच के बीच काफी समय तक कोर्ट से बाहर लॉकर रूम में अपना इलाज कराते रहे। इससे पहले सेमीफाइनल में भी फेडरर ने ऐसा ही किया था। उस जीत के बाद पैट कैश ने कहा, 'ये बेइमानी है और इसकी इजाजत भी दी जा रही है। ये सही नहीं है।' कैश का सीधा इशारा था कि फेडरर की उम्र ढल चुकी है और उन्हें मैच के बीच में ब्रेक चाहिए था। उस बयान पर फेडरर ने उस समय कोई प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन रविवार को विंबलडन में बिना कोई ब्रेक लिए 19वां ग्रैंड स्लैम जीतकर उन्होंने सबको जवाब दे दिया है। खेल पत्रकार विभोर कुमार कहते हैं, 'फेडरर का संयम ही हमेशा उनकी ताकत था और वो सिर्फ कोर्ट के अंदर नहीं, कोर्ट के बाहर उनके जीवन में भी नजर आया। यही वजह है कि इतनी असफलताओं के बाद भी वो टिके रहे।'

-  पांच साल का वो कठिन सफर

जिस खिलाड़ी को हर अगले ग्रैंड स्लैम में अपनी छाप छोड़ने की आदत थी अगर उसके करियर में अचानक एक निराश करने वाला बदलाव आए तो सवाल उठने ही थे। फेडरर ने 2012 में विंबलडन का खिताब जीता था और उसके बाद से वो लगातार पांच सालों तक कोई ग्रैंड स्लैम खिताब नहीं जीत पाए थे। इस दौरान वो दो बार विंबलडन में (2014, 2015) और एक बार यूएस ओपन (2015) में फाइनल तक पहुंचे लेकिन चूक गए थे। हालांकि रविवार को फेडरर ग्रैंड स्लैम जीतने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी बने और सभी आलोचनाओं पर विराम पर लगा दिया।

Edited By: Shivam Awasthi