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Kuno National Park: कूनो के आंगन में खेलकर एक साल की हुई 'मुखी', केक भी काटा गया; लोगों ने कहा- हैप्पी बर्थडे

देश में विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से बसाने के लिए शुरू की गई चीता पुनर्वास परियोजना के लिए शुक्रवार का दिन बेहद खास रहा। परियोजना के बाद देश की धरती पर जन्मी पहली मादा शावक मुखी की पहली वर्षगांठ का उत्सव शुक्रवार को कूनो नेशनल पार्क में देखने लायक रहा। केक काटा गया। लोगों ने हैप्पी बर्थ डे मुखी गाया।

By Jagran News Edited By: Prateek Jain Published: Sat, 30 Mar 2024 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 30 Mar 2024 06:00 AM (IST)
Kuno National Park: कूनो के आंगन में खेलकर एक साल की हुई 'मुखी', केक भी काटा गया; लोगों ने कहा- हैप्पी बर्थडे
मादा चीता ज्वाला से जन्मी शावक ‘मुखी’ एक वर्ष की हो गई है। सौ. कूनो प्रबंधन

सुरेश वैष्णव, श्योपुर। देश में विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से बसाने के लिए शुरू की गई चीता पुनर्वास परियोजना के लिए शुक्रवार का दिन बेहद खास रहा। परियोजना के बाद देश की धरती पर जन्मी पहली मादा शावक 'मुखी' की पहली वर्षगांठ का उत्सव शुक्रवार को कूनो नेशनल पार्क में देखने लायक रहा। केक काटा गया। लोगों ने हैप्पी बर्थ डे मुखी गाया।

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29 मार्च, 2023 को अफ्रीकी देश नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला ने चार शावकों को जन्म दिया था। इनमें से तीन शावकों को बचाया नहीं जा सका। इस मादा शावक को कूनो के वन्यजीव विशेषज्ञों व पशु चिकित्सकों की कड़ी मेहनत व सतत निगरानी से बचाया जा सका। इसे मां ज्वाला से अलग रखा गया।

जन्म के समय नाजुक थी मुखी की हालत

शुक्रवार को प्रथम जन्म तिथि पर इसका नाम 'मुखी' रखा गया। कूनो प्रबंधन ने इस मौके पर मुखी नाम से शार्ट वीडियो भी जारी किया है। वीडियो में मुखी के एक साल की जीवन यात्रा का वर्णन है। बता दें कि चीता पुनर्वास परियोजना के तहत नामीबिया से आठ चीते लाए गए थे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्म दिवस 17 सितंबर, 2022 को इन चीतों को कूनो नेशनल पार्क के क्वारंटाइन बाड़े में छोड़ा था। दूसरे चरण में दक्षिण अफ्रीका से चीते लाए गए थे। मुखी की हालत जन्म के समय बेहद नाजुक थी।

डाक्टरों की बेहतर देखरेख व उपचार के बाद उसकी हालत में सुधार होता गया। मुखी अब पूरी तरह से स्वस्थ है। डीएफओ (कूनो) थिरूकुराल आर बताते हैं कि मादा शावक मुखी को तबीयत बिगड़ने के बाद उसकी मां से अलग रखा गया इसलिए छोटी सी उम्र से ही उसे एकाकी जीवन जीना पड़ा।

रंंग ला रही मेहनत

भारत में आखिरी बार चीता वर्ष 1947 में देखे गए। कई बार के बाद इन्हें भारत लाने के प्रयास वर्ष 2022 में फलीभूत हुए। दो चरणों में कुल 20 चीते लाए गए। मौसम की प्रतिकूलता और अन्य वजहों से चीतों की मौत हुई तो परियोजना पर सवाल उठे, लेकिन सरकार के प्रयासों और चिकित्सकों की मेहनत से आज परियोजना सफल साबित हो रही है। वर्तमान में कूनो में जन्मे 14 शावक हैं, जबकि दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाए गए चीतों की संख्या 13 है।

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