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वीरों की धरती पंजाब का गौरव बन गए शहीद जैमल, जा‍निये उनके जीवन के खास पहलू

पुलवामा में शहीद हुए जैमल सिंह वीरों की धरती में गौरव बन गए हैं। उन्‍होंने पुलवामा के आतंकी हमले में शहादत देेने पंजाब की कुर्बानी की परंपरा को साबित किया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 06:23 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 06:33 PM (IST)
वीरों की धरती पंजाब का गौरव बन गए शहीद जैमल, जा‍निये उनके जीवन के खास पहलू
वीरों की धरती पंजाब का गौरव बन गए शहीद जैमल, जा‍निये उनके जीवन के खास पहलू

मोगा, जेएनएन। वतन की राह पर वतन के नौजवां शहीद हो..., और माेगा के जैमल सिंह इसकी मिसाल बन गए हैं। 45 साल के जैमल पुलवामा में आंतकी हमले के शिकार हो गए। इसके साथ ही उन्‍हाेंने वीरों की धरती पंजाब का गौरव और बढ़ा दिया। जैमाल को अंतिम विदाई देने जिस तरह जनसैलाब उमड़ा वह बता रहा था कि उनकी कुर्बानी का क्‍या महत्‍व है।

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मासूम बेटे द्वारा पिता को अंतिम विदाई देता देख वहां मौजूद हर व्‍यक्ति रो पड़ा। पुलवामा में आतंकवादी हमले में शहीद होने वाले जैमल सिंह मूल रूप से गांव गलोटी के निवासी थे। 45 वर्ष के जैमल बहादूरी आैर जांबाजी के लिए जाने जाते थे। उनका जन्म 27 अप्रैल 1974 को हुआ था। मैट्रिक (10वीं) पास करने के बाद वह 23 अप्रैल 1993 को वह सीआरपीएफ में भर्ती हो गए थे। वह ड्राइवर थे। शहादत के समय जैमल सिंह जम्मू में तैनात थे। यहां से शहीद जैमल सिंह की सीआरपीएफ की 76-बटालियन कश्मीर में शिफ्ट हो रही थी, इसी दौरान बस ड्राइव करते समय शहीद हो गए।  
 
धार्मिक परिवार से रखते थे ताल्‍लुक, जीवन में कभी खौफ के नहीं हुए शिकार

शहीद जैमल के पिता जसवंत सिंह गुरुद्वारा साहिब में पाठी हैं। मां सुखबिंदर कौर हाउस वाइफ हैं। जैमल सिंह का छोटा भाई नसीब सिंह आठ साल से मलेशिया में रह रहे हैं, वहीं बिजनेस करते हैं। बहन हरजिंदर कौर की शादी हो चुकी है। पत्नी सुखजीत कौर पांच साल के बेटे गुरुदर्शन सिंह (यूकेजी का विद्यार्थी) के साथ वर्तमान में सीआरपीएफ कैंप सरायखास (करतारपुर-जालंधर) में रहती हैं।  



पांच साल के बेटे से करते थे बेहद प्‍यार, फोन पर बहुत देर तक करते थे बातें

जैमल सिंह 19 साल की उम्र में सीआरपीएफ में भर्ती हो गए थे। काफी समय बाद उनकी संतान हुई थी। यही कारण है कि वह अपने बेटे गुरुदर्शन सिंह के काफी करीब थे और उससे बहुत प्‍यार करते थे। वह अक्सर बहुत देर तक उससे फोन पर बात किया करते थे।

बेटे से किया था अच्छे स्‍कूल में एडमिशन दिलाने का वादा

जैमल सिंहकुछ दिन पहले ही छुट्टी से ड्यूटी पर वापस लौटे थे। छुट्टी पर आए थे तो उन्होंने बेटे से वादा किया था कि वह फिर जल्दी ही छुट्टी पर आएंगे और उसका एडमिशन अच्‍दे स्‍कूल में एडमिशन कराएंगे। उन्‍होंने कहा था कि गुरुदर्शन सिंह का पंचकूला के विवेकानंद स्कूल में एडमिशन करवाएंगे।



17 साल पहले हुई थी शादी, 12 साल बाद हुई संतान सुख की प्राप्ति

जैमल की शादी 17 साल पहले सुखजीत कौर से हुई थी। घर में बच्चे की किलकारियां शादी के 12 साल बाद गूंजी। वह बेटे को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहता था। यही कारण था कि उसने परिवार को जालंधर में रखा हुआ था। अब वह बेटे को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए पंचकूला शिफ्ट होने की तैयारी में थे। जैमल सिंह बटालियन में एमटी इंचार्ज थे और अधिकतर समय दफ्तर में ही रहते थे। पुलवामा में हमले के दिन सीआरपीएफ के उस गाड़ी का चालक छुट्टी पर चला गया था और ऐसे में जैमल सिंह खुद गाड़ी लेकर गए थे।


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