#शहादत : परिवार से दोबारा जल्दी मिलने का वादा कर रमेश गए थे कश्मीर में मोर्चा संभालने
तोफापुर निवासी श्याम नारायण यादव के दो पुत्रों में छोटे रमेश के शहादत की खबर जैसे ही पिता को मोबाइल फोन पर मिली कलेजा कांप उठा क्योंकि गोद में रमेश का दो साल का बेटा आयुष था।
वाराणसी, जेएनएन। चौबेपुर इलाके तोफापुर गांव निवासी श्याम नारायण यादव के दो पुत्रों में छोटे रमेश के शहादत की खबर जैसे ही पिता को मोबाइल फोन पर मिली, कलेजा कांप उठा क्योंकि गोद में रमेश का दो साल का बेटा आयुष था। श्यामनारायण ने बेटे के शहीद होने की जानकारी पहले अपनी पत्नी राजमति को दी और फिर बहू रेनू को। बहन सरोज ने जब सुना कि होली पर आने का वादा करने वाला भाई देश के लिए शहीद हो गया। ग्रामीणों के जुटने पर श्यामनारायण ने कहा कि मेरा बेटा बहादुर था। उसे और उसके साथियों को दुश्मनों ने धोखे से मारा, सामने से लड़ते तो मेरा बेटा उनके टुकड़े कर देता। बेटे की शहादत पर गर्व है। उसने मेरी छाती चौड़ी कर दी। गम इस बात का है कि वह अपने बेटे के पास अधिक समय तक नहीं रह पाया।
बचपन के साथी रोहित ने बताया कि 13 मार्च 1993 को जन्मे सेना में जाने का रमेश को बचपन से शौक था। बहुत बहादुर था। रमेश ने अपनी श्रीगांधी इंटर मीडिएट कालेज, गौराकलां से पढ़ाई पूरी की। इंटर की पढ़ाई के बाद ही तीन साल पहले सीआरपीएफ को उसने ज्वाइन कर लिया। राजस्थान में कठिन ट्रेनिंग के बाद उसे कश्मीर में तैनात किया गया।
बेटे के लिए पिता ने खेत गिरवी रखा था, दो कमरे में परिवार : रमेश ने बचपन से ही सेना में जाने का ख्वाब संजोया था। बेटे की इच्छा को देखते हुए पिता ने भी उसका हौसला बढ़ाया। जब रमेश के हाथ मौका लगा तो आर्थिक तंगी आड़े आ गई। पिता ने परवाह नहीं करते हुए खेती की दो बीघा जमीन गिरवी रख दी। रमेश के बड़े भाई ने घर की माली हालत सुधारने के लिए शहर छोडऩे का फैसला किया और पिता का आशीर्वाद लेकर कर्नाटक चले गए और वहा पशुपालन के कारोबार से जुड़ा है। घर की माली आज भी खराब है। एक कमरा टीनशेड का है, घर की दीवारों पर प्लास्टर तक नहीं है। 28 दिनों तक घर पर रहने के बाद जब रमेश 12 फरवरी को कश्मीर के लिए रवाना हो रहा था तब उसने पिता से कहा था कि 'बाबूजी चिंता न करो, खेत भी छुड़ा लेंगे और घर भी अच्छे से बनवाएंगे' क्या मालूम कि यह उसकी अंतिम यात्रा है।
गांव में लगे अमर रहें रमेश के नारे : रमेश के शहीद होने की जानकारी होते ही लोग बाहर आ गए। ग्राम प्रधान लालमन यादव समेत अन्य ग्रामीणों ने अमर रहें रमेश के नारे लगाए। लोगों में इस बात का भी आक्रोश था कि देर रात तक अधिकारी भी नहीं पहुंचे थे।
शहीद रमेश के घर पहुंचे राज्यमंत्री : शहीद रमेश यादव के घर शुक्रवार को पहुंच राज्यमंत्री अनिल राजभर ने कहा कि पुलवामा में जो हुआ वह कायरता का नमूना है। हमने अपने देश के 42 सपूत खोए हैं और अपने गांव का बेटा रमेश खोया है। हमें उसकी शहादत पर गर्व भी और दर्द भी है। राज्य मंत्री ने कहा कि सभी की आंखें नम हैं लेकिन उस पिता के जज़्बे को मेरा सलाम जिसने मुझसे कहा है कि मै अपना दूसरा बेटा भी सेना में भेजना चाहता हूं देश रक्षा के लिए। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात हुई है और सैनिक कल्याण विभाग मेरे ही पास ही है इसलिए मै आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम शहीद के बड़े भाई को उत्तर प्रदेश सरकार में सरकारी नौकरी देंगे। मुख्यमंत्री का निर्देश है कि शहीद के सम्मान में कोई कमी नहीं होगी और जितना भी होगा सरकार करेगी। शहीद रमेश के घर की हालत देखकर कहा सम्बंधित विभागीय अधिकारियों से वार्ता करके आवास ठीक कराया जाएगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।