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    कोरोना वायरस के मद्देनजर भारत सरकार किसी का धर्म देखकर उसे विदेश से स्‍वदेश नहीं लाई

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Tue, 17 Mar 2020 11:51 PM (IST)

    भारत सरकार ने अपने लोगों को कोरोना वायरस के प्रकोप से बचाने से पहले किसी का धर्म नहीं पूछा। सरकार ने इस संबंध में दूसरे देशों के मुकाबले सबसे अधिक सक्रियता दिखाई।

    कोरोना वायरस के मद्देनजर भारत सरकार किसी का धर्म देखकर उसे विदेश से स्‍वदेश नहीं लाई

    श्रीनिवास। कोरोना वायरस की चपेट में पूरी दुनिया के आने और इसके महामारी का रूप लेने के बीच भारत ने विदेशों में रहने वाले अपने लोगों के प्रति अन्य देशों के मुकाबले अधिक गंभीरता दिखाई है। ईरान और सऊदी में फंसे भारतीयों को वापस बुलाने में सरकार ने हिंदू मुसलमान को बांटकर नहीं देखा। यही देश की पहचान भारत की चित्ती है। पिछले कुछ वर्षो से यह बात बार बार विवाद के घेरे में है कि मुस्लिम समुदाय क्या भारतीय संस्कृति को समझ नहीं पा रहा है या समझने से ही परहेज है। अगर यह दृष्टि स्पष्ट हो जाए तो कई विवाद जो देश के सामने एक राजनीतिक भ्रम को पैदा कर रहे हैं, वे खत्म हो सकते हैं।

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    नागरिकता कानून विवाद, जनसंख्या कानून या पड़ोसी देशों के साथ संबंध को लेकर जिस तरह की विकृत संस्कृति को पैदा करने का राजनीतिक ध्रुवीकरण हो रहा है वह रुक सकता है। भारत की संस्कृति हिंदू धर्म की भीत पर ही बनी है। लेकिन संस्कृति की विशेषता में विविधिता समाहित है। भारत की संस्कृति लोकतांत्रिक और मानववादी थी और उसी की शक्ति के साथ आज भी जिंदा है। भारतीय संस्कृति अपनी संस्कार और बनावट में विविधतापूर्ण और बहुलतावादी है। इसका निर्माण वैदिक काल में हो चुका था। महाभारत, जिसे दुनिया का श्रेष्ठ काव्य समझा जाता है उसमें भी साझी संस्कृति की विस्तृत चर्चा है। उस समय से लेकर भारत के बंटवारे के बाद भी भारतीय संस्कृति ने मुस्लिम समुदाय को अपनाया और अपना समझा।

    भारतीय मुसलमानों के सामने इंडोनेशिया का उदाहरण सबसे सटीक और अनुकरणीय है। इंडोनेशिया की धरती पर उतरते ही आपको भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिल जाएगी, क्योंकि इंडोनेशिया एयरलाइंस का लोगो ‘गरुड़ पक्षी’ है। गरुड़ देखते ही आपके मन में भगवान राम और गरुड़ पक्षी की कहानी याद आ जाएगी। यह देश मुस्लिम भले ही हो, लेकिन यहां की संस्कृति में भारतीयता घुली-मिली है। जिन इस्लामिक देशों में धर्म ने कट्टरपंथी रुख अपना लिया व सांस्कृतिक विरासत गुम हो गई, वहां हिंसा का माहौल है। इस्लामिक सहयोग संगठन के करीब 57 सदस्य देश हैं। इनकी पहचान एक कट्टर मुस्लिम देशों के रूप में होती है। लेकिन इनमें से कुछ गिने-चुने देशों को छोड़ दें तो ज्यादातर देश आंतरिक कलह और आतंकवाद के गढ़ हैं। मिडिल ईस्ट के देशों की बात करें तो सऊदी अरब, ईरान, इराक, सीरिया, तुर्की समेत करीब 18 देश आते हैं। इनमें से कुछ देश काफी अमीर हैं, लेकिन वहां पर अशांति है।

    हिंदू संस्कृति में धर्म की विविधता है, लेकिन राष्ट्र सर्व प्रमुख है। यही भारतीय संस्कृति है। भारतीयता अध्यात्म आधारित, एकात्म और समग्र जीवन दृष्टि है, जो सर्व समावेशक है। हिंदुत्व तो विश्व कुटुंब की बात करता है। हिंदुत्व के प्रभाव के कारण भारत में रिलीजन के नाम पर कभी भेदभाव रहा ही नहीं। भारत की सांस्कृतिक विविधता को अपनाकर भारत का मुस्लिम समुदाय दुनिया के मुस्लिम राष्ट्रों के लिए एक नया आयाम बन सकता है।

    आज मुस्लिम समुदाय शिया, सुन्नी और अहमदिया जैसे कई खंडों में बंटा हुआ है। ईरान से लेकर पाकिस्तान तक इन समुदायों के बीच खूनी संघर्ष जारी है। अगर उनके बीच एक बंधुत्व की नई भीत तैयार हो सकती है तो वह भारत की धरती से ही स्पंदित हो सकता है। यहां पर भारतीय मुस्लिम समुदाय के पास दोहरी चुनौती है। भारत की संस्कृति को अपनाकर मुस्लिम बहुल देशों के लिए नया प्रतिमान बनाना। जिस दिन यह सोच विकसित होने लगेगी, राजनीतिक ठेकेदारों की दुकाने बंद हो जाएगी।

    (लेखक राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् हैं)

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