यहां पति-पत्नी साथ तो जाते हैं लेकिन....
शिमला के रामपुर में समुद्र तल से 11000 फुट की ऊंचाई पर मां दुर्गा का एक स्वरूप विराजमान है जो की श्राई कोटि माता के नाम से प्रसिद्ध है। जानकारी के अनुसार अगर कोई दंपती मंदिर में जाकर प्रतिमा के दर्शन करते हैं तो उन्हें इसकी सजा भुगतनी पड़ती है।
धार्मिक कार्यो में पति-पत्नी का एक साथ बैठना शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से मनोकामना पूर्ण होती है। लेकिन एक मंदिर ऐसा भी हैं जहां पति-पत्नी साथ तो जाते हैं परन्तु पूजा करते समय अलग-अलग हो जाते हैं।
जी हां, देवभूमि हिमाचल प्रदेश के शिमला में स्थित मां दुर्गा के मंदिर में पति-पत्नी का एक साथ पूजा करना निषेध है। शिमला के रामपुर में समुद्र तल से 11000 फुट की ऊंचाई पर मां दुर्गा का एक स्वरूप विराजमान है जो की श्राई कोटि माता के नाम से प्रसिद्ध है। जानकारी के अनुसार अगर कोई दंपती मंदिर में जाकर प्रतिमा के दर्शन करते हैं तो उन्हें इसकी सजा भुगतनी पड़ती है।
एक कहानी के अनुसार भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों गणेश और कार्तिकेय को ब्रह्मïांड का चक्कर लगाने कहा था। कार्तिकेय तो अपने वाहन पर बैठकर भ्रमण पर चले गए, लेकिन गणेणजी ने माता-पिता के चक्कर लगा कर ही यह कह दिया था कि माता-पिता के चरणों मैं ही ब्रह्मïांड है।
इसके बाद कार्तिकेय ब्रह्मïांड का चक्कर लगाकर आए तब तक गणेश जी का विवाह हो चुका था। इसके बाद वह गुस्सा हो गए और उन्होंने कभी विवाह न करने का संकल्प लिया। कार्तिकेय के विवाह न करने के प्रण से माता पार्वती बहुत रूष्ट हुई थीं। उन्होंने कहा कि जो भी पति-पत्नी यहां उनके दर्शन करेंगे वह एक दूसरे से अलग हो जाएंगे। इस कारण आज भी यहां पति-पत्नी एक साथ पूजा नहीं करते हैं।