UPSC CSE Result : हिन्दी नहीं, अंग्रेजी बना रही यूपीएससी की राह आसान; CSAT के बाद बदली स्थिति
विशेषज्ञ बताते हैं कि वर्ष 2011 में सी-सैट आने के बाद हिंदीभाषी विद्यार्थियों के परिणाम की संख्या में कमी आने लगी। आरंभ के दो-तीन वर्षों तक सी-सैट के प्रश्नों का स्टैंडर्ड कठिन नहीं था। इसके अतिरिक्त इसके अंक भी परिणाम में जुड़ते थे लेकिन बाद में इसमें केवल सफल होना आवश्यक कर दिया गया। वहीं IAS अर्चना बताती हैं कि हिंदी में तैयारी के लिए कंटेंट भी कम मिलता है।
नलिनी रंजन, पटना। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सेवा 2023 का फाइनल परिणाम मंगलवार को जारी कर दिया। इसमें बिहारी प्रतिभाओं ने अपनी सफलता का परचम लहराया है। यूपीएससी के सिविल सेवा परीक्षा में बिहार से लगभग 80 से अधिक बिहारी प्रतिभाओं ने दम दिखाया है।
इन अभ्यर्थियों में हिंदी से अधिक अंग्रेजी माध्यम से सफलता अर्जित करने वाली अभ्यर्थियों की संख्या अधिक है। वर्ष 2022 व 2023 के परिणाम में हिंदी माध्यम से परिणाम लाने वाले विद्यार्थियों की संख्या नगण्य है।
'...सी-सैट के प्रश्नों का स्टैंडर्ड कठिन था'
विशेषज्ञ बताते हैं कि वर्ष 2011 में सी-सैट आने के बाद हिंदीभाषी विद्यार्थियों के परिणाम की संख्या में कमी आने लगी। आरंभ के दो-तीन वर्षों तक सी-सैट के प्रश्नों का स्टैंडर्ड कठिन नहीं था। इसके अतिरिक्त इसके अंक भी परिणाम में जुड़ते थे, लेकिन बाद में इसमें केवल सफल होना आवश्यक कर दिया गया।
वर्ष 2014 बैच आइएएस और बिहार-झारखंड के सिविल सेवा अधिकारियों के संगठन नेशनल एशोसिएशन ऑफ सिविल सर्वेंट्स (एनएसीएस) के संयोजक संतोष कुमार बताते हैं कि सी-सैट के प्रश्न काफी टफ हो गए हैं। इसमें कमजोर अंग्रेजी व गणित वाले विद्यार्थियों को सफलता कम मिलती है। इसके कारण भी हिंदी माध्यम के लिए यह टफ हो गया है।
2020 बैच के मध्य प्रदेश कैडर की आइएएस अर्चना कुमारी बताती हैं कि हिंदी में तैयारी के लिए कंटेंट भी कम मिलता है। ऐसे में हिंदी वाले विद्यार्थियों को भी अंग्रेजी का सहारा लेकर तैयारी करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त मुख्य परीक्षा में हिंदी लिखने की गति थोड़ी स्लो हो जाती है। जबकि मुख्य परीक्षा में सात-आठ मिनट में एक प्रश्न का जवाब देना होता है। वह भी बेहतर राइटिंग के साथ। इसके अतिरिक्त साक्षात्कार में आत्मविश्वास की कमी होने के कारण भी हिंदी माध्यम वाले को थोड़ी परेशानी होती है।
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