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Delhi Crime: 17 साल पहले विवाहिता की संदिग्ध परिस्थिति में मौत को कोर्ट ने माना हत्या, पति को ठहराया दोषी

17 वर्ष पहले संदिग्ध परिस्थितियों में विवाहिता की मौत को कड़कड़डूमा कोर्ट ने दहेज हत्या नहीं हत्या माना है। कोर्ट ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर निर्णय सुनाते हुए मृतका के पति को जानबूझ कर हत्या करने का दोषी ठहराया है।

By Jagran NewsEdited By: Abhi MalviyaPublished: Sun, 11 Jun 2023 12:27 AM (IST)Updated: Sun, 11 Jun 2023 12:27 AM (IST)
Delhi Crime: 17 साल पहले विवाहिता की संदिग्ध परिस्थिति में मौत को कोर्ट ने माना हत्या, पति को ठहराया दोषी
कोर्ट ने कहा कि विवाहिता की मौत रात के वक्त बेडरूम में हुई थी।

पूर्वी दिल्ली, जागरण संवाददाता। 17 वर्ष पहले संदिग्ध परिस्थितियों में विवाहिता की मौत को कड़कड़डूमा कोर्ट ने दहेज हत्या नहीं, हत्या माना है। कोर्ट ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर निर्णय सुनाते हुए मृतका के पति को जानबूझ कर हत्या करने का दोषी ठहराया है।

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कोर्ट ने कहा कि विवाहिता की मौत रात के वक्त बेडरूम में हुई थी। उसकी मौत को फांसी लगाकर आत्महत्या बताया गया था, लेकिन किसी ने विवाहिता को फंदे पर लटके हुए नहीं देखा। उस वक्त उसका पति ही कमरे में था। भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत यह बहुत मजबूत कड़ी है कि मृतका की हत्या पति ने की थी। सुसराल पक्ष के अन्य लोगों को पुलिस ने दहेज हत्या के आरोप से मुक्त कर दिया है।

फांसी लगाने की पुलिस को मिली सूचना

कोर्ट में दाखिल रिकॉर्ड के मुताबिक, पुलिस को 15 जून 2005 को सूचना मिली थी कि कृष्णा नगर थाना क्षेत्र के शांति नगर गली नंबर-11 एक मकान में विवाहिता ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। मौके पर पहुंची पुलिस ने पाया था कि मकान के भूतल पर बेडरूम में ज्योति उर्फ हेमलता का शव बेड पर पड़ा हुआ था।

मृतका के ससुर बनारसी दास ने पुलिस को बताया था कि उसने फांसी लगाकर आत्महत्या की है। दो टुकड़ों में चुन्नी पुलिस को सौंपते हुए बताया था कि इससे ही उसने फंदा बनाया था, जबकि मृतका के पिता अमरनाथ ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटी की दहेज के लालच में हत्या की गई है।

ससुराल वाले बेटी से दो लाख रुपये मांग रहे थे। वह उसे पीटते भी थे। यह भी बताया कि उनकी बेटी की शादी मई 2002 में हुई थी। विवाह के सात साल पूरे नहीं हुए थे, इसलिए पुलिस ने दहेज के लालच में हत्या करने के आरोप में प्राथमिकी पंजीकृत कर ली। उसमें मृतका के पति हरीश, ससुर बनारसी दास, सास उर्मिला, ननद ममता कपूर उर्फ डेजी व रजनी और ननदोई अजय कुमार को आरोपित बनाया था।

किसी ने नहीं देखा था ज्योति को फंदे पर 

इस मामले में कोर्ट ने पेश किए गए साक्ष्यों और गवाहों के बयानों से पाया कि किसी ने ज्योति को फंदे पर लटका हुआ नहीं देखा। जो लोग वहां थे, उन्होंने उसे बेड पर मृत पड़ा पाया था। यह भी सामने आया कि उस वक्त पंखा चल रहा था। पंखे की ऊंचाई अधिक थी, ऐसे में आत्महत्या की सूरत फंदे पर लटकने के लिए स्टूल या कुछ अन्य चीज की जरूरत होती। किसी ने स्टूल जैसी चीज भी वहां नहीं देखी थी।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गला घुटने से मौत बताई गई थी। मौत का समय 14-15 जून 2005 की दरम्यानी रात 2:35 बजे से 4:35 बजे के बीच बताया गया था। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सास, ससुर, दोनों ननद और एक ननदोई को दहेज हत्या के आरोप से बरी कर दिया। जबकि हरीश को हत्या करने के लिए दोषी करार दे दिया।

रिपोर्ट इनपुट- आशीष गुप्ता



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