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    जोमैटो-स्विगी जीएसटी दायरे में लाने से क्या महंगा होगा आपका फूड बिल, जानें जवाब

    फूड डिलीवरी ऐप को जीएसटी के दायरे में लाने का स्वागत करते हुए कंफेडरेशन ऑफ इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीण खण्डेलवाल ने कहा कि फूड डिलीवरी ऐप को जीएसटी के दायरे में लाने सी जीएसटी की चोरी को रोका जा सकेगा। जीएसटी के दायरे में लाने फैसला सही है।

    By Vineet SharanEdited By: Updated: Sat, 18 Sep 2021 07:13 PM (IST)
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    फूड ऐप को अलग से 18 फीसदी जीएसटी का भुगतान सरकार को करना होता है।

    नई दिल्ली, मनीष कुमार। जोमैटो और स्विगी जैसे फूड डिलिवरी एप्प से 5 फीसदी जीएसटी ( Goods & Services Tax) वसूला जाएगा। शुक्रवार को जीएसटी कांउसिल के इस फैसले के बाद इन फूड डिलिवरी ऐप से मनपंसदीदा खाना मंगाने वाले लोगों के मन में ये सवाल जरूर कौंध रहा होगा कि जोमैटो स्विगी को जो 5 फीसदी जीएसटी का भुगतान करना है, ये कंपनियां अब इस रकम को अपने कस्टमर्स से वसूलेंगी। ऐसे में क्या ऑनलाइन फूड डिलिवरी आर्डर करना महंगा हो सकता है ? ऐसे कई सवाल हैं जो ऐप के जरिये ऑनलाइन फूड आर्डर करने वालों के मन में घूम रहे हैं।

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    क्या ऑनलाइन फूड आर्डर करना होगा महंगा ?

    जीएसटी काउंसिल के फूड डिलिवरी एप्प से 5 फीसदी जीएसटी वसूलने के फैसले से क्या ऑनलाइन फूड आर्डर करना महंगा हो जाएगा ? इस सवाल का जवाब है ' नहीं '। ऑनलाइन ऐप पर फूड आर्डर करना महंगा नहीं होगा। वो इसलिये क्योंकि आप जब भी जोमैटो स्विगी पर फूड आर्डर करते थे ये कंपनियां आपसे फूड बिल के साथ जीएसटी भी पहले ही वसूला करती थी। लेकिन सरकार को जीएसटी का भुगतान जोमैटो या स्विगी नहीं करती थी। बल्कि इस एप्प के जरिये जिस रेस्टोरेंट से आप खाना आर्डर करते थे, जोमैटो या स्विगी जैसी कंपनियां जीएसटी रकम का हिस्सा उन रेस्टोरेंट को दे देती थी और ये रेस्टोरेंट सरकार को जीएसटी का भुगतान किया करती थी। लेकिन अब फूड एग्रीगेटर कंपनियां सीधे जीएसटी जमा कराएंगी।

    अब फूड ऐप कंपनियां भरेंगी जीएसटी

    जीएसटी काउंसिल ने फैसला लिया है कि ये फूड एप्प एग्रीगेटर आर्डर किये गए फूड पर जीएसटी रकम का हिस्सा रेस्टोरेंट को नहीं देंगी बल्कि वे खुद 5 फीसदी जीएसटी रकम का भुगतान सरकार को करेंगी। वैसे जोमैटो स्विगी जैसे एप्प रेस्टोरेंट से फूड डिलीवरी करने के बदले में जो कमीशन वसूलती हैं इस सेवा ले लिए भी फूड एप्प्स को अलग से 18 फीसदी जीएसटी का भुगतान सरकार को करना होता है।

    इस फैसले की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि जहां पर फूड की डिलीवरी होती है वहीं जीएसटी वसूली की जाएगी और ये एप्प जीएसटी जमा कराएंगी। उन्होंने ये भी स्पष्ट किया था कि ये कोई नया टैक्स नहीं है।

    फूड डिलीवरी एप्प्स को जीएसटी के दायरे में लाने का स्वागत करते हुए कंफेडरेशन ऑफ इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीण खण्डेलवाल ने कहा कि फूड डिलीवरी ऐप को जीएसटी के दायरे में लाने सी जीएसटी की चोरी को रोका जा सकेगा। उन्होंने कहा कि फूड डिलीवरी एक सर्विसेज है और इसलिए जीएसटी के दायरे में लाने फैसला पूरी तरह सही है। बहरहाल जीएसटी कॉउंसिल के इस फैसले से आपको चिंता करने के जरूरत नहीं। क्योंकि ना तो फूड बिल मंहगा होगा और ना जीएसटी का भार आपकी जेब पर पड़ेगा।