'कम से कम 10 से 15 तबला वादक हैं, जो मेरी तरह...' जब Zakir Hussain ने अपनी पॉपुलैरिटी पर कही थी दिलचस्प बात
भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक से जब पूछा गया कि क्या वो खुद को दुनिया के सबसे सर्वश्रेष्ठ तबला वादक समझते हैं तो उन्होंने दिलचस्प जवाब दिया था। जब उनसे पूछा गया था कि क्यों उन्हें लगता है कि वो दुनिया के सबसे बेहतरीन तबला वादक हैं? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि मेरे लिए जय जरूरी है कि मैं सीख सकूं।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तबला वादक जाकिर हुसैन का सोमवार को सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया। 73 साल के जाकिर हुसैन (Zakir Hussain Death) इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस बीमारी से ग्रस्त थे। पिछले कुछ हफ्तों से उन्हें अमेरिकी शहर सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया था। यहीं उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली और दुनिया को अलविदा कह दिया।
भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक, चार बार ग्रैमी पुरस्कार विजेता से जब पूछा गया कि क्या वो खुद को दुनिया के सबसे सर्वश्रेष्ठ तबला वादक समझते हैं, तो उन्होंने दिलचस्प जवाब दिया था।
मैं सीखने में विश्वास रखता हूं: जाकिर हुसैन
उन्होंने एक बार हिंदुस्तान टाइम्स से कहा था कि वे सर्वश्रेष्ठ तबला वादक नहीं थे। दरअसल, साल 2013 में जब उनसे पूछा गया था कि क्यों उन्हें लगता है कि वो दुनिया के सबसे बेहतरीन तबला वादक हैं? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि मेरे लिए जय जरूरी है कि मैं सीख सकूं। मेरे पिता ने कहा था कि खुद को मास्टर मत समझो। सर्वश्रेष्ट तक पहुंचने की मत सोचो। बस एक तबले का अच्छा छात्र बनो।
उन्होंने आगे कहा कि आपको लगता है कि मैं इस क्षेत्र में सबसे सर्वश्रेष्ठ हूं तो मैं आपको कम से कम 15 ऐसे तबला वादकों का नाम बता सकता हूं, जो मेरे जितने ही बेहतर हैं। वो मेरे जितना अच्छा ही तबला बजाते हैं, कभी-कभी मुझसे ज्यादा अच्छा तबला बजाते हैं।
तीन साल की उम्र में सीखा था तबला बजाना
उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म नौ मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। वह उस्ताद अल्लाह रक्खा के बड़े बेटे थे। अल्लाह रक्खा भी तबला वादक थे। उन्होंने पिता के मार्गदर्शन में तीन साल की उम्र में तबला बजाना सीखना शुरू किया था।
उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा माहिम, मुंबई के सेंट माइकल हाई स्कूल से पूरी की। उन्होंने सेंट जेवियर्स कालेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। जाकिर ने कथक नृत्यांगना एंटोनिया मिनेकोला से शादी की। उनकी दो बेटियां अनीसा कुरेशी और इसाबेला कुरेशी हैं। जाकिर को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और पिछले साल पद्म विभूषण से नवाजा गया था।
दुनियाभर में लहराया भारतीय शास्त्रीय संगीत का परचम
जाकिर ने दुनियाभर में भारतीय शास्त्रीय संगीत का परचम लहराया। उन्हें चार ग्रैमी अवार्ड मिले थे, जिनमें इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी अवार्ड्स में मिले तीन अवार्ड शामिल हैं। उनका सम्मान अमेरिका समेत पूरी दुनिया में किया जाता था। 2016 में उन्हें तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आल-स्टार ग्लोबल कान्सर्ट में भाग लेने के लिए व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था।
व्हाइट हाउस में कान्सर्ट में आमंत्रित किए जाने वाले वह पहले भारतीय संगीतकार थे। अपने छह दशकों के करियर में जाकिर ने कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय और भारतीय कलाकारों के साथ काम किया है, लेकिन अंग्रेजी गिटारवादक जान मैकलाघलिन, वायलिन वादक एल. शंकर और तालवादक टीएच 'विक्कू' विनायकराम के साथ उनकी जुगलबंदी ने अलग पहचान बनाई।
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