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    तेलंगाना में मोबाइल से जूए में पैसा लगा रहे युवा, प्रतिबंध के बावजूद राज्य में ऑनलाइन सट्टेबाजी बेरोकटोक जारी

    आजकल ऑनलाइन जूआ खेलना ट्रेंड बन गया है जिसे देखो ऑनलाइन सट्टेबाजी में पड़कर अपनी मेहनत की कमाई गंवा रहा है। साथ ही पब्लिक रिस्पॉन्स अगेंस्ट हेल्पलेसनेस एंड एक्शन फॉर रिड्रेसल (प्रहर) एक गैर सरकारी संगठन द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार तेलंगाना में ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी में शामिल अधिकांश लोग 18 से 25 वर्ष की आयु के हैं।

    By Digital Desk Edited By: Jeet Kumar Updated: Sat, 28 Jun 2025 10:59 PM (IST)
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    तेलंगाना में मोबाइल से जूए में पैसा लगा रहे युवा (सांकेतिक तस्वीर)

     डिजिटल डेस्क, तेलंगाना। आजकल ऑनलाइन जूआ खेलना ट्रेंड बन गया है जिसे देखो ऑनलाइन सट्टेबाजी में पड़कर अपनी मेहनत की कमाई गंवा रहा है। पब्लिक रिस्पॉन्स अगेंस्ट हेल्पलेसनेस एंड एक्शन फॉर रिड्रेसल (प्रहर), एक गैर सरकारी संगठन द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, तेलंगाना में ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी में शामिल अधिकांश लोग 18 से 25 वर्ष की आयु के हैं।

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    तेलंगाना में एनजीओ प्रहर ने किया सर्वेक्षण

    शुक्रवार को तेलंगाना में एनजीओ प्रहर द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में ऑनलाइन बेटिंग एंड गैंबलिंग को लेकर लोगों को जागरूक किया गया और तेलंगाना में सर्वेक्षण भी किया गया जिसके बारे में बात की गई। पिछले छह हफ्तों में किए गए इस सर्वेक्षण में राज्य भर के 2,761 सट्टेबाजों को शामिल किया गया।

    सोशल मीडिया के मीडिया के माध्यम से पैसा लगा रहे युवा

    इसमें पाया गया कि सट्टा लगाने वाले अधिकांश उत्तरदातानिम्न आय वर्ग से आते हैं, जिनमें से लगभग 38% की मासिक आय 15,000 रुपये से कम है। अध्ययन प्ले स्टोर पर उपलब्ध ऐप्स के साथ-साथ टेलीग्राम पर उपलब्ध लिंक या सोशल मीडिया पर विज्ञापनों के माध्यम से सट्टेबाजी प्लेटफार्मों तक पहुंचने वाले उपयोगकर्ताओं पर केंद्रित था।

    टेलीग्राम लोकप्रिय विकल्प

    खिलाड़ी सट्टा लगाते समय अपनी असली पहचान उजागर न करने के लिए सावधान रहते हैं, जिसके कारण वीपीएन सबसे लोकप्रिय विकल्प बन गया है जिसका इस्तेमाल 69% उत्तरदाताओं ने किया।एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रहर के अध्यक्ष अभय राज ने कहा कि टेलीग्राम लिंक 20% के साथ दूसरे स्थान के होते हैं।

    राज्य में ऑनलाइन सट्टेबाजी बेरोकटोक जारी

    अन्य निष्कर्षों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रतिबंध के बावजूद राज्य में ऑनलाइन सट्टेबाजी बेरोकटोक जारी है। सर्वेक्षण में पाया गया कि उदाहरण के लिए, 87% उत्तरदाताओं ने कहा कि वे हर दिन ऑनलाइन जुआ खेलते हैं, और 89% उत्तरदाताओं ने कहा कि सट्टेबाजी वाली साइटें आसानी से सुलभ हैं। अधिकांश उत्तरदाताओं - 96% - को पता था कि यह अवैध भी है।

    उनमें से अधिकांश ने कहा कि वे आसानी से पैसा कमाने के लिए सट्टेबाजी में शामिल हो गए। एनजीओ के एक सदस्य ने कहा कि मामूली निवेश से बड़ी रकम जीतने की संभावना 86 फीसदी उपयोगकर्ताओं को आकर्षित करती है, जबकि 56 फीसदी लोग सट्टेबाजी जारी रखते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि दूसरे बड़ी जीत हासिल कर लेंगे।

    जितना पैसा कमाया नहीं उतना गंवा दिया

    उत्तरदाताओं ने दावा किया कि उन्होंने जितना निवेश किया था, उससे ज्यादा खो दिया है। डेटा के अनुसार, 79 फीसदी सट्टेबाजों ने 50,000 रुपये से ज्यादा के नुकसान की सूचना दी। उन्होंने सुझाव दिया कि तेलंगाना तमिलनाडु की तरह ही सशर्त प्रतिबंध लागू करने पर विचार करे।