केंद्र सरकार ने किसानों को फिर दी राहत, पीली मटर को लेकर उठाया बड़ा कदम
केंद्र सरकार ने पीली मटर पर 30% आयात शुल्क लगाया, जो 1 नवंबर से लागू होगा। इस फैसले से किसानों को राहत मिलेगी और दलहन उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। सस्ते आयात के कारण किसानों को नुकसान हो रहा था, इसलिए यह कदम उठाया गया है। सरकार का लक्ष्य 2030 तक दालों में आत्मनिर्भर बनना है, और यह निर्णय उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

पीली मटर पर सरकार ने लगाया आयात शुल्क।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पीली मटर पर 30 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने का फैसला किया है। यह निर्णय एक नवंबर से लागू होगा। इससे किसानों को राहत और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन को गति मिलेगी। दाल उत्पादन में स्थिरता आएगी, जिससे किसान दाल की खेती के लिए प्रेरित होंगे।
यह कदम आत्मनिर्भर भारत के उस लक्ष्य की दिशा में अहम माना जा रहा है, जिसमें किसान केवल उत्पादक नहीं, बल्कि बाजार के निर्णायक भागीदार बन सकेंगे। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब सस्ते विदेशी आयात के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था और कई दालों की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे पहुंच गई थीं। इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उस हालिया घोषणा से भी जोड़ा जा रहा है, जिसमें दस दिन पहले 42 हजार करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना एवं दलहन आत्मनिर्भरता मिशन की शुरुआत की गई है। हालांकि 31 अक्टूबर तक के बिल ऑफ लैडिंग वाले जहाजों की खेपों को शुल्क से छूट दी गई है।
पीली मटर को किया था ड्यूटी फ्री
दिसंबर 2023 में पीली मटर को ड्यूटी-फ्री किया गया था। तबसे देश का दलहन बाजार असंतुलित हो गया था। इस दौरान रूस और कनाडा से सस्ती मटर का आयात तेजी से बढ़ा, जिससे घरेलू उत्पादकों पर दबाव बढ़ा। वर्ष 2024-25 में भारत ने लगभग 67 लाख टन दालें आयात कीं, जिनमें 30 लाख टन सिर्फ पीली मटर थी। आयातित मटर की औसत कीमत 3,500 रुपये प्रति क्विंटल रही, जबकि अरहर, उड़द एवं मूंग का एमएसपी सात-आठ हजार रुपये प्रति क्विंटल के बीच था। सस्ते आयात के कारण किसानों को अपनी फसलें एमएसपी से काफी नीचे बेचनी पड़ीं और घरेलू बाजार कमजोर हुआ।
भारत का लक्ष्य आत्मनिर्भरता
भारत का लक्ष्य 2030 तक दालों में आत्मनिर्भर बनना है। वर्तमान में सालाना लगभग पौने तीन करोड़ टन दालों की जरूरत होती है, जबकि उत्पादन 2.4 करोड़ टन के आसपास है। यह अंतर आयात से पूरा किया जाता रहा है। पीली मटर पर शुल्क बढ़ने से आयात महंगा होगा, जिससे घरेलू बाजार में देसी दालों की मांग बढ़ेगी। 
किसानों को दलहन की खेती का बेहतर आर्थिक प्रोत्साहन मिलेगा। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और झारखंड जैसे राज्यों में दलहन मिशन के तहत चल रही योजनाओं को इससे बल मिलेगा।
वर्तमान में अरहर की कीमतें 7,550 रुपये की एमएसपी के मुकाबले 7,000 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे हैं, उड़द की 6,150 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि एमएसपी 7,400 रुपये है, और मूंग का भाव 6,557 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि एमएसपी 8,682 रुपये है।
सरकार ने अब अरहर, मूंग और उड़द की शत-प्रतिशत एमएसपी पर खरीद के लिए किसानों का पंजीकरण शुरू किया है। यदि यह प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से लागू हुई तो किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।
सरकार के इस कदम का हुआ स्वागत
भारतीय कृषि उत्पाद उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानेश मिश्र का कहना है कि केंद्र सरकार का फैसला सराहनीय है। इससे किसान दाल उत्पादन के लिए प्रेरित होंगे और रकबा बढ़ेगा। शुल्क मुक्त आयात से दाल की कीमतें गिरने लगी थीं, जिससे किसानों और उद्यमियों को नुकसान हो रहा था। अभी अरहर और उड़द पर भी शुल्क बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही चना और मसूर का आयात शुल्क 10 से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया जाना चाहिए। दलहन उत्पादन और आयात की समीक्षा के लिए एक राष्ट्रीय समिति गठित की जानी चाहिए।

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