Year Ender 2025: अलकनंदा गैलेक्सी से लेकर क्वांटम चिप तक, पढ़िए इस वर्ष की सबसे बड़ी वैज्ञानिक खोज
Year Ender 2025: साल 2025 विज्ञान के लिए यादगार रहा। इस वर्ष अलकनंदा गैलेक्सी की खोज, प्रारंभिक मानव द्वारा आग का नियंत्रण और क्वांटम कंप्यूटिंग तक कई ...और पढ़ें

वर्ष 2025: विज्ञान की खोजें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2025 विज्ञान जगत के लिए एक यादगार वाला साल रहा। इस वर्ष खगोल विज्ञान से लेकर चिकित्सा, क्वांटम कंप्यूटिंग और पर्यावरण तक कई क्षेत्रों में ऐसी उपलब्धियां हासिल हुईं, जिसने दुनिया को देखने के नजरिया बदल दिया। आइए जानते हैं इस वर्ष विज्ञान के क्षेत्र में हासिल होने वाली कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियों के बारे में...
अलकनंदा की खोज
वर्ष 2025 में भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी सफलता अलकनंदा गैलेक्सी की खोज रही। टीआईएफआर पुणे के राशि जैन और योगेश वाडेकर ने जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) से बिग बैंग के मात्र 1.5 अरब साल बाद की एक परिपक्व सर्पिल गैलेक्सी 'अलकनंदा' की खोज की। इस खोज के दौरान हिमालय की नदी अलकनंदा पर नामित यह गैलेक्सी अबेल 2744 क्लस्टर के गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग से दिखी।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों शोधकर्ताओं ने अपनी रुचि के अप्रत्याशित उपहार के रूप में मिली इस आकाशगंगा का अध्ययन करने के लिए जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (जेडब्ल्यूएसटी) का उपयोग किया। उन्होंने पाया कि यह आकाशगंगा हमारी अपनी मिल्की वे आकाशगंगा से काफी मिलती-जुलती है, इसकी सर्पिल भुजाएं, विशिष्ट डिस्क-आकार और एक चमकीला केंद्र है।

मानव द्वारा आग जलाने की प्राचीन खोज
इस वर्ष एक अनोखे खोज के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि प्रारंभिक मानव जाति ने लगभग 400,000 वर्ष पहले आग बनाना और उसे नियंत्रित करना शुरू कर दिया था। पुरातात्विक साक्ष्यों से पता चला है कि निएंडरथल लोगों ने आग बनाना हमारे पहले के अनुमान से कहीं पहले शुरू कर दिया था, जिससे पहले से अनुमानित समयरेखा लगभग 350,000 वर्ष, या उससे भी अधिक पीछे चली गई है। इंग्लैंड के ईस्ट फार्म (बार्नहम) में पुरातत्वविदों द्वारा किए गए अध्ययनों से पता चला है कि यह खोज सदियों से चली आ रही कहानी को बदल सकती है।

अंतरतारकीय धूमकेतु 3I/ATLAS की उपस्थिति
इस वर्ष तरतारकीय मेहमान, धूमकेतु 3I/ATLAS को पहली बार जुलाई में चिली स्थित ATLAS सर्वेक्षण दूरबीन द्वारा देखा गया था। हवाई में देखे गए ओउमुआमुआ (2017) और क्रीमिया में देखे गए धूमकेतु बोरिसोव (2019) के अलावा, यह अभिलेखों में दर्ज तीसरा ज्ञात अंतरतारकीय पिंड की खोज है। जुलाई में पता चला यह धूमकेतु अक्टूबर में सूर्य के निकट आया और 19 दिसंबर को पृथ्वी से सबसे करीब (लगभग 270 मिलियन किमी) गुजरा। जिसकी निगरानी नासा ने की।

CRISPR से दुर्लभ उत्परिवर्तन का इलाज
इस साल फिलाडेल्फिया के चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल और पेन मेडिसिन के डॉक्टरों की एक टीम ने पहली बार CRISPR जीन एडिटिंग का उपयोग करके फिलाडेल्फिया के चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल में नौ महीने के केजे मुल्डून में एक उत्परिवर्तन को ठीक किया है। बच्चे को दुर्लभ CPS1 डेफिशिएंसी थी, जिसमें प्रोटीन पचाने में असमर्थता से अमोनिया जमा होता था। डॉक्टरों ने CRISPR से एक सिंगल डीएनए बेस बदला, लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत बचाई। बच्चा अब पूरी तरह स्वस्थ है। यह चिकित्सा जगत जीन सुधार के तरीकों की खोज के लिए इस वर्ष की बड़ी उपलब्धि रही।
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क्वांटम युग की शुरुआत
इस वर्ष क्वांटम कंप्यूटिंग वैज्ञानिक जगत में चर्चा का विषय बनी हुई है। क्योंकि इस साल फरवरी 2025 में माइक्रोसॉफ्ट ने दुनिया का पहला टोपोलॉजिकल क्वांटम प्रोसेसर 'मेजराना 1' लॉन्च किया, जो मेजराना पार्टिकल्स पर आधारित है। यह चिप एक मिलियन क्यूबिट्स तक स्केलेबल है और पारंपरिक क्यूबिट्स से ज्यादा स्थिर। कंपनी का दावा है कि ऐसी चिप्स दुनिया के सभी कंप्यूटरों से अधिक शक्तिशाली हो सकती हैं। क्वांटम युग की शुरुआत भी माना जा रहा है।

CT-179 दवा से बाल मस्तिष्क कैंसर का इलाज
इस वर्ष कैंसर अनुसंधान में पहली बार, एमोरी यूनिवर्सिटी और क्यूआईएमआर बर्गहोफर मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक अध्ययन से पता चला है कि बचपन में निदान किए गए मस्तिष्क कैंसर के लिए एक संभावित लक्षित चिकित्सा, चूहों पर परीक्षण किए गए मॉडल में ट्यूमर कोशिकाओं में घुसपैठ करने और उन्हें नष्ट करने में कारगर है। सीटी-179 नामक दवा मेडुलोब्लास्टोमा जैसे बाल मस्तिष्क कैंसर में प्रतिरोधी स्टेम सेल्स को निशाना बनाती है।
आर्कटिक बर्फ में शैवाल की गति
चुकची सागर में वैज्ञानिकों ने समुद्री बर्फ में डायटम शैवाल को -15°C तक ग्लाइडिंग करते पाया। शोध में पाया गया कि एक्टिन फिलामेंट्स से चलते ये शैवाल चरम ठंड में सक्रिय रहते हैं, जीवन की सीमाएं बढ़ाते हैं। शैवाल की गतिविधियों और कोशिका व्यवहार को समझने में सक्षम होने के कारण, वैज्ञानिकों ने शून्य से नीचे और उससे भी कम तापमान पर डायटम की गतिशीलता (सरकने के तरीके से) को देखा। उनकी कोशिकाओं में मौजूद एक्टिन तंतुओं के कारण यह गति संभव हो पाती है, जिससे वे ऐसी सतहों पर सरक सकते हैं।

प्लास्टिक कचरे से कार्बन सोखने वाली सामग्री
कोपेनहेगन और आरहस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने PET प्लास्टिक कचरे से BAETA नामक एक बिस्-अमीनोमाइड विकसित किया गया है। यह 170°C तक के तापमान पर कार्बन डाइऑक्साइड से रासायनिक रूप से जुड़ जाता है। जो सस्ती, स्केलेबल और 100+ साइकिल्स तक प्रभावी है। आविष्कार का श्रेय देते हुए, अध्ययन में सहायता करने वाले जी-वूंग ली ने कहा कि किसी भी उपयोगी कार्बन कैप्चर सामग्री को सस्ते और प्रचुर स्रोतों से प्रति वर्ष लाखों टन की मात्रा में बनाया जाना चाहिए।

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