Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इसरो ने लॉन्च किया दुनिया का सबसे हल्का उपग्रह कलामसैट, जानिए खासियत

    By Tilak RajEdited By:
    Updated: Fri, 25 Jan 2019 01:23 PM (IST)

    कलामसैट सैटेलाइट का नामकरण पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर किया गया है। इसे चेन्नई के छात्रों के समूह स्पेस किड्स ने तैयार किया है।

    इसरो ने लॉन्च किया दुनिया का सबसे हल्का उपग्रह कलामसैट, जानिए खासियत

    नई दिल्‍ली, जेएनएन। इसरो ने गुरुवार को दुनिया के सबसे छोटा सैटेलाइट कलामसैट वी-2 को लॉन्च किया। इसकी लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुई। कलामसैट सैटेलाइट का नामकरण पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर किया गया है। खास बात यह कि इस उपग्रह को भारतीय छात्रों के एक समूह ने तैयार किया है। कलामसैट वी-2 को पीएसएलवी-सी44 मिशन के तहत किया गया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दुनिया का सबसे हल्‍का सैटेलाइट

    इससे पहले आजतक दुनिया में ऐसा कभी नहीं हुआ, जब सिर्फ 1.2 किलोग्राम का कोई सैटेलाइट लॉन्‍च किया गया हो। लेकिन इसरो और भारतीय छात्रों ने यह कारनामा कर दिखाया है। इसरो ने इस सैटेलाइट के बारे में बताया है कि इस उपग्रह से शौकिया तौर पर रेडियो सेवा चलाने वालों को अपने कार्यक्रमों के लिए तरंगों के आदान-प्रदान में मदद मिलेगी। इसरो ने बताया कि इस सैटेलाइट का प्रक्षेपण स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को वैज्ञानिक और भविष्य के इंजीनियर बनने के लिए प्रेरित करेगा। कलामसैट को चैन्नई स्थित स्पेस एजुकेशन फर्म स्पेस किड्ज़ इंडिया नाम की स्टार्ट-अप कंपनी ने बनाया है।

    इसरो चीफ के 'स्‍पेस किड्स'

    कलामसैट सैटेलाइट का नामकरण पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर किया गया है। इसे चेन्नई के छात्रों के समूह 'स्पेस किड्स' ने तैयार किया है। इन छात्रों को स्‍पेस किड्स नाम इसरो के चेयरमैन डॉ. के सिवन ने दिया है। यह पीएसएलवी के नए संस्करण पीएसएलवी-डीएल का पहला सैटेलाइट है। के सिवन से अवसर पर छात्रों को प्रोत्‍साहित करने के लिए कहा कि इसरो भारतीयों की अपनी संपत्ति है। भारत से सभी छात्रों का इस पर अधिकार है। इसलिए सभी छात्रों से निवेदन है कि वे अपने विज्ञान के नए आविष्कारों को लेकर हमारे पास आएं। हम उनके उपग्रह लॉन्च करेंगे और हम चाहते हैं कि वो देश को विज्ञान की दिशा में आगे बढ़ाएं।

    ये है कलामसैट सैटेलाइट की खासियत

    कलामसैट को बच्‍चों ने जरूर तैयार किया है, लेकिन यह बेहद महत्‍वपूर्ण सैटेलाइट है जो बड़े काम का है। जानकारों के मुताबिक, कलामसैट सैटेलाइट को हैम रेडियो ट्रांसमिशन (शौकिया रेडियो ट्रांसमिशन) के कम्युनिकेशन सैटेलाइट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा। दरअसल, हैम रेडियो ट्रांसमिशन से मतलब वायरलैस कम्युनिकेशन के उस रूप से है जिसका इस्तेमाल पेशेवर गतिविधियों में नहीं किया जाता है।

    कलामसैट से भी हल्‍का सैटेलाइट हो चुका है लॉन्‍च

    यह पहला मौका नहीं है, जब कोई बेहद हल्‍का सैटेलाइट लॉन्‍च किया है। पिछले साल एक अन्य भारतीय छात्र ने ही इससे भी हल्के उपग्रह को बनाया था, जिसका वज़न मात्र 64 ग्राम था। इस उपग्रह को नासा ने चार घंटे के मिशन पर सब-ऑर्बिटल फ़्लाइट पर भेजा था। लेकिन बता दें कि सब-ऑर्बिटल फ़्लाइट के दौरान उपग्रह अंतरिक्ष में पहुंचते हैं लेकिन पृथ्वी की कक्षा में नहीं जाते हैं।

    PM मोदी और रक्षा मंत्री ने दी बधाई

    मिशन की सफलता पर पीएम मोदी ने भी इसरो को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीटकर लिखा, 'PSLV के एक और सफल प्रक्षेपण के लिए हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई। इस लॉन्च ने भारत के प्रतिभाशाली छात्रों द्वारा निर्मित कलामसैट को Orbit में प्रक्षेपित किया।' एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'इस प्रक्षेपण के साथ भारत सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण प्रयोगों (micro-gravity experiments) के लिए एक कक्षीय मंच के रूप में अंतरिक्ष रॉकेट के चौथे चरण का उपयोग करने वाला पहला देश बन गया है।'