Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नीरीकेएफटी नाम की आयुर्वेदिक दवा को किडनी से जुड़ी बीमारियों के इलाज में असरदार

    जटिल बीमारियों को ठीक करने में आयुर्वेद कारगर साबित हो रहा है। फार्मास्युटिकल बायोलाजी में प्रकाशित इस शोध के अनुसार इसमें पाए जाने वाले एंटीआक्सीडेंट तत्व किडनी की कोशिकाओं में मौजूद विषाक्त द्रव्यों जैसे प्रतिक्रियाशील आक्सीजन प्रजातियों (आरओएस) के प्रभाव को तेजी से कम करते हैं।

    By Ramesh MishraEdited By: Updated: Wed, 10 Mar 2021 08:03 PM (IST)
    Hero Image
    अत्याधुनिक जीवन शैली से जुड़ी जटिल बीमारियों को ठीक करने में आयुर्वेद कारगर। फाइल फोटो।

     नई दिल्ली,  नीलू रंजन। अत्याधुनिक जीवन शैली से जुड़ी जटिल बीमारियों को ठीक करने में आयुर्वेद कारगर साबित हो रहा है। जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय में किए गए शोध में नीरीकेएफटी नाम की आयुर्वेदिक दवा को किडनी से जुड़ी बीमारियों के इलाज में असरदार पाया गया है। फार्मास्युटिकल बायोलाजी में प्रकाशित इस शोध के अनुसार इसमें पाए जाने वाले एंटीआक्सीडेंट तत्व किडनी की कोशिकाओं में मौजूद विषाक्त द्रव्यों जैसे प्रतिक्रियाशील आक्सीजन प्रजातियों (आरओएस) के प्रभाव को तेजी से कम करते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कोशिकाओं में मौजूद विषैले द्रव्यों के बाहर निकलने के कारण न सिर्फ किडनी फेल होने की आशंका कम हो जाती है, बल्कि धीरे-धीरे किडनी की कोशिकाएं स्वस्थ भी होने लगती हैं। जाहिर है कि इस आयुर्वेदिक दवा से किडनी के मरीज को डायलीसिस पर जाने से बचाया जा सकता है। दरअसल, एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में किडनी की खराब कोशिकाओं को स्वस्थ करने का कोई उपाय नहीं है और मरीज के लिए किडनी ट्रांसप्लांट या फिर डायलीसिस का विकल्प ही बच जाता है।

    ऐसे मरीजों के लिए आयुर्वेदिक दवा नीरीकेएफटी आशा की नई किरण साबित हो सकती है। किडनी के इलाज में नीरीकेएफटी के असरदार होने की पुष्टि इसके पहले भी कई शोध में हो चुकी है। इंडो अमेरिकन जर्नल आफ फार्मास्युटिकल रिसर्च में प्रकाशित शोध में भी नीरीकेएफटी के जरिये क्रेटिनिन, यूरिया व प्रोटीन को नियंत्रित कर किडनी उपचार में मदद मिलने की पुष्टि हुई थी।शोध के दौरान जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय में किडनी के मरीजों को दो समूहों में रखा गया था।

    एक समूह के मरीजों को पुनर्नवा, वरुण, रेवंड चीनी व कमल चार औषधियां दी गईं। वहीं दूसरे समूह के मरीजों को नीरीकेएफटी दी गई। शोध में पाया गया कि जिस समूह को नीरीकेएफटी दी जा रही थी उनमें आरओएस की मात्रा तेजी से कम हो गई और साथ ही एंटीआक्सीडेंट एंजाइम का स्तर नियंत्रित रहा। नीरीकेएफटी को पुनर्नवा, गोखरू, वरुण, पत्थरूपरा, पाषाणभेद, कासनी और पलाश के फूलों से तैयार किया गया है।